अतीक अहमद :लंबे सियासी सफर में भी काले कारनामों ने नहीं छोड़ा अतीक का साथ, आखिरकार गोली से ही हुआ अंत

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Even in the long political journey, dark exploits did not leave Ateeq's side

अतीक अहमद
– फोटो : अमर उजाला

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माफिया अतीक अहमद ने जरायम की दुनिया से ज्यादा अपनी जिंदगी सियासी सफर में बिताई लेकिन उसके काले कारनामों ने उसका पीछा नहीं छोड़ा। अतीक का सियासी सफर सन 1989 में शुरू होता है जब वह शहर पश्चिमी से निर्दलीय विधायकी का चुनाव जीता था। राजनीतिक सफर में यह उसका पहला कदम था। इस चुनाव में उसके तीन प्रतिद्वंद्वी थे जिनमें तीरथ राम कोहली, गोपाल दास यादव और चांद बाबा शामिल थे।

अतीक को 20000 वोट मिले और उसने अपने सबसे नजदीकी प्रतिद्वंदी गोपाल दास यादव को पराजित किया और इसके बाद 2004 तक लगातार पांच बार विधायक चुना गया गया हालांकि कि 1989 के अपने पहले चुनाव के बाद उसके सबसे बड़े दुश्मन चांद बाबा की हत्या हो गई।

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