अमर उजाला संवाद: प्रो. टीजी सीताराम बोले- छात्रों को डिजिटल क्षेत्र में सक्षम बनाना जरूरी, सुझाए ये टिप्स

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Amar Ujala Samvad: Professor TG Sitara said It is important to make students digitally competent

Amar Ujala Samvad
– फोटो : अमर उजाला

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अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के चेयरमैन प्रोफेसर टीजी सीताराम ने कहा कि जम्मू कश्मीर के युवाओं में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। यहां के बच्चों के लिए इंजीनियरिंग और टेक्नालॉजी कोर्स के लिए संस्थान खोले गए हैं। वर्कशॉप की जा रही हैं, जिसकी तरफ इंजीनियरिंग और टेक्नालॉजी कोर्स के छात्र आकर्षित हो रहे हैं। हमारा उद्देश्य छात्रों को डिजिटली स्तर पर सक्षम बनाना है। इसके लिए हम कई तरह के कार्यक्रम चला रहे हैं। प्रो. सीताराम वीरवार को कन्वेंशन सेंटर जम्मू में अमर उजाला संवाद कार्यक्रम में बोल रहे थे।

प्रो. सीताराम ने जम्मू-कश्मीर के युवाओं के मार्गदर्शन करते हुए प्रदेश में तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ती संभावनाओं पर चर्चा की। उन्होंने कहा यहां के छात्रों को कई आईआईटी संस्थानों में एआईसीटीई के माध्यम से इंटर्नशिप का मौका दिया जा रहा है। इसके लिए कई आईआईटी संस्थानों ने पहल शुरू की है। 

जम्मू कश्मीर में शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ रही संभावनाओं पर काम किया जा रहा है। इस दिशा में सरकार और संस्थान की ओर से कई मुहिम शुरू की गई हैं। भारत में 1987 के बाद से इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या में वृद्धि हुई है। नई पहल में छात्रों को डिजिटली क्षेत्र में सक्षम बनाया जा रहा है। 

पीजी प्रोग्राम में हर साल 5000 बच्चे पढ़ते हैं। छात्रों को इंटर्नशिप के माध्यम से प्रशिक्षित करके उनके अनुभव को बढ़ाया जा रहा है। आईआईटी में तीन से चार महीने के लिए उन्हें भेजा जाता है। तकनीकी शिक्षा में हम विश्व में चीन के बाद इंजीनियर तैयार करने वाले सबसे बड़े देशों में से एक हैं। जम्मू में 20, कश्मीर में 22 और लद्दाख में 02 इंजीनियरिंग कॉलेज स्थापित हैं। इनमें करीब 10000 इंजीनियरिंग कार्यक्रम में बच्चे शामिल होते हैं। 

इसके अलावा जम्मू में 12 और कश्मीर में 15 इंजीनियरिंग डिप्लोमा कालेज और लद्दाख में दो इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट हैं। इन एआईसीटीई वित्त पोषित संस्थानों में करीब 6000 डिप्लोमा छात्र हैं। पीजी कार्यक्रम के लिए जम्मू में 8 और कश्मीर 7 संस्थान हैं, जिनमें 5000 युवा पोस्ट ग्रेजुएट इंजीनियरिंग कर रहे हैं। विद्यार्थियों को इंटर्नशिप समर्थन दिया जा रहा है। 

एआईसीटीई की 1945 में स्थापना हुई थी और 2023 में बदलाव की ओर बढ़ रहा है। देश में तकनीकी और मैनेजमेंट शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है। एआईसीटीई से मान्यता प्राप्त

तकनीकी शिक्षा में 3600 इंजीनियरिंग कालेज, 3500 ड़िप्लोमा कालेज, 1000 से अधिक मैनेजमेंट स्कूल व डिजाइन स्कूल, आर्ट सहित अन्य संस्थान चल रहे हैं। एआईसीटीई के अधीन हर साल 5000 बच्चों को छात्रवृत्ति दी जा रही है।

इस साल 1500 संस्थान नवाचार परिषद होंगे

एआईसीटीई के चेयरमैन प्रोफेसर टीजी सीताराम ने सवाल जवाब सत्र में युवाओं के कई जिज्ञासा को दूर किया। एक सवाल के जवाब में सीताराम ने कहा कि देश में नवाचार और स्टार्ट अप को बढ़ावा दिया जा रहा है। एआईसीटीई ने प्रत्येक तकनीकी संस्थान में संस्थान नवाचार परिषद का गठन करने पर जोर दिया है। मौजूदा तकनीकी शिक्षा में 7500 संस्थान नवाचार परिषद स्थापित कर चुके हैं और इस साल यह संख्या 1500 तक होने की उम्मीद है। छात्रों में अनुभव को बढ़ावा दिया जा रहा है।

तकनीकी और मैनेजमेंट कार्यक्रमों की गुणवत्ता प्राथमिकता

यूजीसी और एआईसीटीई से मान्यता प्राप्त संस्थानों में पढ़ने में डिग्री में अंतर पर सीताराम ने कहा कि देश भर में विश्वविद्यालय यूजीसी मान्यता प्राप्त डिग्री प्रदान करते हैं, जबकि एआईसीटीई एक रेगुलेटरी बाडी है जो तकनीकी और मैनेजमेंट कार्यक्रमों को मान्यता देता है। यूजीसी और एआईसीटीई साथ मिलकर काम करते हैं। एआईसीटीई तकनीकी शिक्षा के गुणवत्ता कार्यक्रमों के साथ इंटर्रनिशप पोर्टल आदि पर काम करता है।

तकनीकी कौशल कार्यक्रमों पर जोर

उच्च शिक्षा संस्थानों में कौशल कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसमें कौशल युवा फोर्स को तैयार किया जा रहा है। इसके लिए पाठ्यक्रमों में 20 प्रतिशत तक कौशल कार्यक्रमों को अनिवार्य बनाया गया है। इसका उद्देश्य पढ़ाई के बाद युवाओं को कौशल क्षेत्र में रोजगार देना है।

प्लेसमेंट में ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित

प्लेसमेंट के सवाल पर सीताराम ने कहा कि एआईसीटीई ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। देशभर में 3600 इंजीनियरिंग कालेजों में 70 प्रतिशत ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्र से हैं। सभी संस्थानों में 1500 कंपनियां रोजगार देने का काम कर रही हैं। इसके साथ इंटर्नशिप पोर्टल शुरू किया गया है, जिसमें 2 करोड़ छात्र पंजीकृत हो चुके हैं। प्रधानमंत्री का फोकस उच्च तकनीकी शिक्षा पर है। हम विश्व में स्टार्ट अप में तीसरे नंबर पर हैं।

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