“आपकी गाड़ी फलां तारीख को फलां जगह पर शराब तस्करी के दौरान जब्त की गई है।” आप क्या करेंगे? तत्काल कुछ समझ में नहीं आएगा, क्योंकि उत्पाद विभाग एक-दो नोटिस भेजने के बाद निलामी की प्रक्रिया में आगे बढ़ जाएगा।
सहरसा में चल रही वह कार, जिसे नंबर अलॉट किया गया है। – फोटो : अमर उजाला
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आपकी गाड़ी बिहार या देश में कहीं दौड़ रही हो और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (आरसी) में दर्ज पते पर नोटिस आए- “आपकी गाड़ी फलां तारीख को फलां जगह पर शराब तस्करी के दौरान जब्त की गई है।” आप क्या करेंगे? तत्काल कुछ समझ में नहीं आएगा, क्योंकि उत्पाद विभाग एक-दो नोटिस भेजने के बाद निलामी की प्रक्रिया में आगे बढ़ जाएगा। यही डर सहरसा जिला के सिमरी बख्तियारपुर थाना क्षेत्र के बघवा निवासी प्रणव राय को परेशान किए हुए है। प्रणव राय ने पुलिस और मद्य निषेध विभाग को पहली ही नोटिस पर बता दिया कि उनकी कार उनके पास है, लेकिन एक बार फिर नोटिस आ गया। उत्पाद न्यायालय वरीय उप समाहर्ता पटना के कार्यालय से वाहन अधिहरण वाद के तहत जिला मुख्यालय के कहरा ब्लॉक रोड में कंप्यूटर कोचिंग चलाने वाले प्रणव राय ने दोबारा नोटिस आने के बाद अब मुख्यमंत्री से गुहार लगाई गई है।
फर्जी नहीं लगे, इसलिए मेक के हिसाब से नंबर प्लेट नंबर पहली नजर में फर्जी नहीं पकड़ा जाए, इसलिए शराब तस्करों ने उसी कंपनी की गाड़ी का नंबर प्लेट लगाया था। पटना पुलिस ने शराब तस्करी में 30 मई को जब्त गाड़ी को बिहटा थाने में रखा और आरसी का रिकॉर्ड निकाला। रिकॉर्ड में गाड़ी के नंबर (बीआर 19 पी 0817) से मेक का मिलान किया गया और आरसी में दिए पते पर नोटिस भेज दिया गया। इस दरम्यान यह नहीं देखा गया कि मूल गाड़ी का रंग सफेद है, जबकि जब्त फर्जी नंबर प्लेट वाली कार का रंग भूरा। पहली बार जब नोटिस मिला तो प्रणव राय ने मद्य निषेध विभाग व अन्य को 29 सितंबर को आवेदन भेज न्याय की गुहार लगाई। प्रणव के आवेदन की अनदेखी करते हुए 10 नवंबर 2022 की तारीख से दोबारा नोटिस भेजा गया, जो अब मिला है। दोबारा नोटिस मिलने के बाद पीड़ित प्रणव ने पुनः उत्पाद विभाग के अधिकारियों और पुलिस के साथ मुख्यमंत्री को आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई है।
फरियाद से फायदा न हो तो केस कर देना चाहिए
पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता उमाकांत तिवारी के अनुसार पुलिस या आबकारी विभाग ने अगर सिर्फ नंबर प्लेट के आधार पर मूल गाड़ी मालिक को इस तरह से नोटिस भेजा है तो परेशान किए जाने के आधार पर मूल वाहन मालिक केस कर सकते हैं। कोई भी नोटिस भेजने के पहले चेसिस नंबर, कलर, मेक और मॉडल का मिलान किया जाना चाहिए। इसमें मेक और नंबर प्लेट देखकर नोटिस भेजा गया है। यह बिल्कुल गलत है। दूसरी बात यह भी कि फर्जी नंबर प्लेट के आधार पर गाड़ी की नीलामी की प्रक्रिया भी नहीं बढ़ सकती। कोई इस गाड़ी को लेने का प्रयास भी करेगा तो उसे इसका रिकॉर्ड परिवहन विभाग के सर्वर पर नहीं मिलेगा। ऐसे में वाहन स्वामी को अगर फरियाद से फायदा नहीं मिले तो केस कर देना चाहिए।
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आपकी गाड़ी बिहार या देश में कहीं दौड़ रही हो और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (आरसी) में दर्ज पते पर नोटिस आए- “आपकी गाड़ी फलां तारीख को फलां जगह पर शराब तस्करी के दौरान जब्त की गई है।” आप क्या करेंगे? तत्काल कुछ समझ में नहीं आएगा, क्योंकि उत्पाद विभाग एक-दो नोटिस भेजने के बाद निलामी की प्रक्रिया में आगे बढ़ जाएगा। यही डर सहरसा जिला के सिमरी बख्तियारपुर थाना क्षेत्र के बघवा निवासी प्रणव राय को परेशान किए हुए है। प्रणव राय ने पुलिस और मद्य निषेध विभाग को पहली ही नोटिस पर बता दिया कि उनकी कार उनके पास है, लेकिन एक बार फिर नोटिस आ गया। उत्पाद न्यायालय वरीय उप समाहर्ता पटना के कार्यालय से वाहन अधिहरण वाद के तहत जिला मुख्यालय के कहरा ब्लॉक रोड में कंप्यूटर कोचिंग चलाने वाले प्रणव राय ने दोबारा नोटिस आने के बाद अब मुख्यमंत्री से गुहार लगाई गई है।