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सैंज घाटी की रैला सड़क पर गिरा बड़ा पत्थर आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। पहाड़ी से सड़क पर आया शिवलिंग की आकृति के समान बड़ा पत्थर सबको अपनी ओर खींच रहा है। लोग पत्थर को आस्था के तौर पर देख रहे हैं।
– फोटो : संवाद
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अचानक बिजली प्रोजेक्टों के डैमों से छोड़ा जा रहा पानी भी तबाही का कारण बनता जा रहा है। नौ और दस जुलाई को जिला कुल्लू की सैंज घाटी में हुई तबाही को भी इससे जोड़कर देखा जा रहा है और स्थानीय लोग भी बिजली प्रोजेक्ट पर यही आरोप लगा रहे हैं। 2014 में जिला कुल्लू में लारजी के पास भी डैम का पानी छोड़ने से हैदराबाद के 24 विद्यार्थियों सहित 25 लोगों के बहने से जान चली गई थी। इस हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था।
बावजूद इतने बड़े हादसे के प्रोजेक्ट प्रबंधक व सरकारों ने कोई सबक नहीं लिया। इसके बाद भी बंजार के सैंज से लेकर मनाली तक प्रोजेक्टों द्वारा लापरवाही बरतकर बिना सूचना के पानी को छोड़ने का सिलसिला जारी है। 21 जुलाई को जब चार सदस्यीय केंद्रीय टीम लारजी से लेकर सिउंड तक करीब 20 किलोमीटर के दायरे में हुए नुकसान का जायजा ले रही थी तो हर जगह लोगों ने इस तबाही के लिए एनएचपीसी को जिम्मेदार ठहराया। इस पर अंतर मंत्रालय केंद्रीय दल के टीम मुख्य एवं राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के वित्तीय सलाहकार रविनेश कुमार ने लोगों को आश्वस्त किया है कि उनकी बात को वह गृह मंत्रालय के समक्ष रखेंगे।
एक-एक करोड़ रुपये के घर बहने से प्रभावित हुए राज कुमार, तीर्थ राम व निर्मला ने कहा कि न्यूली से लेकर लारजी तक जो भी तबाही हुई है, वह डैम से अचानक छोड़े गए पानी से हुई है। राज कुमार ने कहा कि सिउंड स्थित डैम की कुछ ही दूरी पर पिन पार्वती नदी के किनारे टनों के हिसाब अवैध रूप से डंपिंग की गई, जिस वजह से सैंज बाजार का नक्शा ही बदल गया।
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