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पटना:
मणिपुर में जनता दल यूनाइटेड (JDU) के पांच विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद जेडीयू की पहली प्रतिक्रिया आई है. जेडीयू के नेता राजीव रंजन ललन सिंह (Rajiv Ranjan Lalan Singh) ने बिहार के बीजेपी (BJP) नेता और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी (Sushil Modi) से कहा है कि, ”आपको स्मरण कराना चाहते हैं कि अरुणाचल और मणिपुर दोनों जगह जेडीयू ने बीजेपी को हराकर सीटें जीती थीं. इसलिए जेडीयू से मुक्ति का दिवास्वप्न मत देखिए. अरुणाचल प्रदेश में जो हुआ था, वह आपके गठबंधन धर्म के पालन के कारण हुआ था?”
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राजीव रंजन सिंह ने सुशील मोदी से कहा है कि …..और मणिपुर में एक बार फिर बीजेपी का नैतिक आचरण सबके सामने है. आपको तो याद होगा 2015 में प्रधानमंत्री जी ने 42 सभाएं कीं, तब जाकर 53 सीट ही जीत पाए थे. 2024 में देश जुमलेबाजों से मुक्त होगा…..इंतजार कीजिए.
मणिपुर में शुक्रवार को जेडीयू के 6 में से 5 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए. जेडीयू के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मणिपुर में जेडीयू के विधायकों ने पार्टी छोड़ने और बीजेपी में शामिल होने का फैसला बीते दिनों बिहार में हुए राजनीतिक घटनाक्रम को ध्यान में रखकर किया है. सूत्रों के अनुसार ये विधायक बिहार में पार्टी के एनडीए गठबंधन से बाहर आने के फैसले से नाराज चल रहे थे. खास बात ये है कि मणिपुर में जेडीयू के विधायकों ने बीजेपी में शामिल होने का फैसला नीतीश कुमार के उस ऐलान के बाद किया है जिसमें उन्होंने मणिपुर में बीजेपी सरकार से अपना समर्थन वापस लेने की बात कही थी.
नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड ने कुछ दिन पहले मणिपुर में बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेने की बात कही थी. हालांकि बीजेपी सूत्रों ने कहा था कि इससे बीरेन सिंह सरकार को कोई खतरा नहीं है. वर्तमान में 60 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन को 55 विधायकों का समर्थन प्राप्त है. इसमें जेडीयू के सात सदस्य शामिल हैं. यहां अगर पार्टी समर्थन वापस ले भी लेती है, तो सत्तारूढ़ गठबंधन में विधायकों की संख्या 48 होगी, जो बहुमत का आंकड़ा 31 से काफी अधिक है.
कहा जा रहा था कि पार्टी की मणिपुर इकाई की जेडीयू के राष्ट्रीय नेताओं के साथ आगामी 3-4 सितंबर को पटना में होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान इस पर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है.
मणिपुर में इस साल की शुरुआत में हुआ विधानसभा चुनाव बीजेपी और जेडीयू ने गठबंधन करके नहीं लड़ा था. चुनावों के बाद जेडीयू के विधायकों ने बीरेन सिंह सरकार को समर्थन दिया था, क्योंकि पार्टी एनडीए का हिस्सा थी.
हॉट टॉपिक : क्या संकेत दे रहे हैं जेडीयू के पोस्टर?
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