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सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : सोशल मीडिया
विस्तार
कानपुर से लापता बच्चों के इंतजार में माता-पिता की आंखें पथरा गई हैं। वर्ष 2016 से अब तक 749 लापता बच्चों में से 92 को ही पुलिस तलाश पाई है। अभी भी 657 का पता नहीं चल सका है। पुलिस कमिश्नरी के गठन के बाद पुलिस गुमशुदगी तो दर्ज कर रही है, लेकिन इस पर कोई काम नहीं किया गया। ऑपरेशन मुस्कान के तहत बच्चों को सही से तलाश किया जाए तो सफलता मिल सकती है। माता पिता वर्ष 2016 से लेकर वर्ष 2023 तक लगातार अपनों की तलाश में भटक रहे हैं। इन लापता बच्चों में अधिकांश 6 से 16 वर्ष तक हैं।
परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने मामला दर्ज कर पोस्टर चस्पा कराकर शुरूआती जांच में आसपास के जिलों में सूचना दे दी, लेकिन समय बीतने के साथ ही पुलिस की जांच ठंडे बस्ते में चली गई। कुछ परिजनों ने कहा कि उन्होंने अब हार मान ली है। कई परिजन आए दिन फोटो लेकर पोस्टमार्टम हाउस के चक्कर लगाते रहते हैं। कई परिजनों ने अपने खर्चे से शहर के मुख्य चौराहों बड़ा चौराहा, माल रोड, घंटाघर, टाटमिल, किदवईनगर, जरीबचौकी, विजयनगर, गोलचौराहा समेत दर्जनों स्थानों पर फोटो और चस्पा पोस्टर लगाए। ऑटो, टेंपो व दीवारों में भी पोस्टर चस्पा किए।
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