उत्तराखंड में ‘व्हाइट कर्फ्यू’: चमोली के 47 गांव बर्फ से ढके, गंगोत्री-यमुनोत्री हाईवे बंद, जोखिम भरा हुआ सफर

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उत्तराखंड में शुक्रवार को हुई बर्फबारी के बाद व्हाइट कर्फ्यू लग गया है। पहाड़ों में सफर खतरों से भरा हो गया है। एक तरफ जहां गंगोत्री-यमुनोत्री हाईवे बंद हैं तो वहीं, चमोली जिले के 47 गांव बर्फ से ढक गए हैं। 

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बृहस्पतिवार रात को मौसम के करवट बदलते ही गंगोत्री व यमुनोत्री धाम सहित जनपद के ऊंचाई वाले इलाकों में एक बार फिर से बर्फबारी का दौर शुरू हो गया है जबकि निचले इलाकों में लगातार बारिश हो रही है। वहीं ताजा बर्फबारी के कारण गंगोत्री व यमुनोत्री हाईवे पर यातायात बाधित हो गया है।

उधर, चमोली बर्फ से चमोली जिले में चमोली-मंडल-चोपता हाईवे कांचुलाखर्क से चोपता तक बर्फ से ढक गया है, जिससे यहां वाहनों की आवाजाही भी बाधित हो गई है। मंडल में केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग की नर्सरी तक बर्फ जम गई है।

घाट- ल्वाणी- रामणी मोटर मार्ग पर भी जगह-जगह बर्फ जमने से वाहनों की आवाजाही मुश्किल से हो पा रही है। मौसम में आए बदलाव से गंगोत्री व यमुनोत्री धाम सहित हर्षिल, सुक्की, जानकीचट्टी, खरसाली आदि ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी का सिलसिला दोबारा शुरू हो गया है।

बर्फ हटाने का काम जारी

बर्फबारी से गंगोत्री हाईवे पर झाला व यमुनोत्री हाईवे फूलचट्टी से आगे वाहनों की आवाजाही प्रभावित हो गई है जिसे सुचारू करने के लिए बीआरओ के कर्मचारी जुटे हैं। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि फिलहाल गंगोत्री व यमुनोत्री हाईवे पर बर्फ हटाने का काम चल रहा है। देर शाम तक दोनों हाईवे खोल दिए जाएंगे। कोलपुड़ी, रूईसाण, तैलाण, गेरूड़, गुमड़, हरिनगर लेटाल, पारथा गांव बर्फ की सफेद चादर से ढक गए हैं जिससे इन क्षेत्रों में ठंड बढ़ गई है। थराली, चेपड़ों, लोल्टी,कुलसारी और अन्य निचली घाटियों में ठिठुरन बढ़ गई है। रूपकुंड, वेदनी, आली, ब्रह्मताल सहित हिमालयी क्षेत्र के गांव बर्फ से ढक गए हैं। गैरसैंण के ऊंचाई वाले क्षेत्र पैंसर, दूधातोली, पनसूया, कौनपुर गढ़ी की चोटियों पर हिमपात हुआ है। 

चमोली जिले में 47 गांव बर्फ से ढके

चमोली जिले में बृहस्पतिवार देर रात से बारिश व बर्फबारी का दौर जारी है। जनपद के ऊंचाई वाले क्षेत्रों के 47 गांव बर्फ से ढक गए हैं। चमोली-मंडल-चोपता-कुंड हाईवे कांचुलाखर्क से आगे बर्फ जमने से बाधित हो गया है। खेतों में भी बर्फ जमने से ग्रामीणों के सम्मुख अपने मवेशियों के चारे की समस्या भी उत्पन्न हो गई है। ईराणी गांव के ग्राम प्रधान मोहन नेगी ने बताया कि बारिश व बर्फबारी नकदी फसलों के लिए वरदान साबित होगी। इस बार दिसंबर माह में भी बारिश न होने से गेहूं के साथ ही सब्जी की पैदावार पर संकट खड़ा हो गया था, अब बारिश होने से जमीन में नमी आ गई है।

बदरीनाथ धाम में दो और हेमकुंड में तीन फीट जमी

बदरीनाथ धाम में दो और हेमकुंड साहिब में तीन फीट तक बर्फ जम गई है। जिला पूर्ति अधिकारी जसवंत कंडारी ने बताया कि बर्फबारी वाले इलाकों में आगामी फरवरी तक की एडवांस रसद भेज दी गई है। जोशीमठ क्षेत्र के आपदा प्रभावित क्षेत्र में भी एडवांस राशन का भंडारण कर दिया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में राशन की कोई दिक्कत नहीं है।

बर्फ और पाला गिरने से वाहन फिसलने का है खतरा

सर्दियों के मौसम में पहाड़ में संभल कर सफर करें। इन दिनों बर्फबारी और पालाग्रस्त क्षेत्रों में वाहन रपटने का खतरा बना रहता है। जिले में चंबा-मसूरी मोटर मार्ग, लंबगांव-उत्तरकाशी और अयांरकाखाल-मेड मरवाड़ी मार्ग सहित कई ऐसे स्थान हैं, जहां लोगों को बर्फ और पालाग्रस्त जगहों पर जोखिम उठाकर सफर करना पड़ता है। निकाय क्षेत्रों में तो इससे निपटने की व्यवस्था की जाती है, लेकिन अन्य दूर-दराज इलाकों में खुद ही संभलकर चलना पड़ेगा।

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