उत्तराखंड: रिमोट एरिया से ही निकला रिमोट वोटिंग का आइडिया, कहीं भी रहकर डाल सकेंगे गृह क्षेत्र के लिए वोट

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– फोटो : प्रतीकात्मक तस्वीर

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रोजगार, शिक्षा और अन्य दूसरी वजहों से देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले उत्तराखंड के लाखों लोग अब चुनाव में अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र के लिए मतदान कर सकेंगे। इसके लिए भारत निर्वाचन आयोग ने प्रोटोटाइप रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (आरवीएम) विकसित की है। खास बात यह है कि रिमोट एरिया में रिमोट वोटिंग का यह आइडिया उत्तराखंड से ही निकला है। 

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मुख्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में कार्यभार संभालने के बाद राजीव कुमार ने उत्तराखंड के चमोली जिले के दुमक गांव के दूरस्थ मतदान केंद्र का दौरा किया था। अपनी पैदल यात्रा के दौरान वह प्रवासियों की समस्या से सीधे रूबरू हुए थे। तब प्रवासियों ने उनके सम्मुख यह मांग उठाई थी। इसके बाद निर्वाचन आयोग की ओर से रिमोट वोटिंग पर व्यापक मंथन किया गया है। आयोग की टीम ने सभी सामाजिक-आर्थिक स्तरों पर प्रवासियों की चुनावी भागीदारी को संभव बनाने के लिए सर्व समावेशी समाधान ढूंढने और मतदान करने की वैकल्पिक पद्धतियों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया। 

सभी हितधारकों के लिए विश्वसनीय, सुगम और स्वीकार्य प्रौद्योगिकीय समाधान की तलाश करने के उद्देश्य से निर्वाचन आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय आयोग और निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल के साथ मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार की अध्यक्षता में आयोग ने एम-3 ईवीएम मॉडल के संशोधित संस्करण का उपयोग करने का विकल्प ढूंढा है। इस तरह प्रवासी मतदाता को अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए वापस अपने गृह जिले की यात्रा करने की जरूरत नहीं होगी।

16 जनवरी को राजनीतिक दलों के सम्मुख करेंगे प्रदर्शन 
आयोग ने बहु-निर्वाचन क्षेत्र प्रोटोटाइप रिमोट ईवीएम की कार्यप्रणाली का प्रदर्शन करने के लिए सभी मान्यता प्राप्त आठ राष्ट्रीय और 57 राज्यीय दलों को 16 जनवरी 2023 को आमंत्रित किया है। इस अवसर पर आयोग की तकनीकी विशेषज्ञ समिति के सदस्य भी उपस्थित रहेंगे। 

आयोग ने राजनीतिक दलों से सुझाव मांगे
आयोग ने अपेक्षित विधिक परिवर्तनों, प्रशासनिक प्रक्रियाओं में परिवर्तनों और घरेलू प्रवासी मतदाताओं के लिए मतदान की पद्धति पर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से 31 जनवरी 2023 तक लिखित सुझाव देने का भी अनुरोध किया है। विभिन्न हितधारकों से प्राप्त फीडबैक और प्रोटोटाइप के प्रदर्शन के आधार पर आयोग रिमोट मतदान पद्धति को लागू करने की प्रक्रिया को आगे ले जाएगा। 

विस्तार

रोजगार, शिक्षा और अन्य दूसरी वजहों से देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले उत्तराखंड के लाखों लोग अब चुनाव में अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र के लिए मतदान कर सकेंगे। इसके लिए भारत निर्वाचन आयोग ने प्रोटोटाइप रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (आरवीएम) विकसित की है। खास बात यह है कि रिमोट एरिया में रिमोट वोटिंग का यह आइडिया उत्तराखंड से ही निकला है। 

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मुख्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में कार्यभार संभालने के बाद राजीव कुमार ने उत्तराखंड के चमोली जिले के दुमक गांव के दूरस्थ मतदान केंद्र का दौरा किया था। अपनी पैदल यात्रा के दौरान वह प्रवासियों की समस्या से सीधे रूबरू हुए थे। तब प्रवासियों ने उनके सम्मुख यह मांग उठाई थी। इसके बाद निर्वाचन आयोग की ओर से रिमोट वोटिंग पर व्यापक मंथन किया गया है। आयोग की टीम ने सभी सामाजिक-आर्थिक स्तरों पर प्रवासियों की चुनावी भागीदारी को संभव बनाने के लिए सर्व समावेशी समाधान ढूंढने और मतदान करने की वैकल्पिक पद्धतियों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया। 

सभी हितधारकों के लिए विश्वसनीय, सुगम और स्वीकार्य प्रौद्योगिकीय समाधान की तलाश करने के उद्देश्य से निर्वाचन आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय आयोग और निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल के साथ मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार की अध्यक्षता में आयोग ने एम-3 ईवीएम मॉडल के संशोधित संस्करण का उपयोग करने का विकल्प ढूंढा है। इस तरह प्रवासी मतदाता को अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए वापस अपने गृह जिले की यात्रा करने की जरूरत नहीं होगी।



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