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कश्मीर घाटी में सर्दियों के भीषण 40 दिन (चिले कलां) की 21 दिसंबर से शुरुआत हो गई है। इसके बाद से घाटी में लगातार न्यूनतम तापमान में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है। इस बीच बुधवार रात को भी न्यूनतम तापमान शून्य से काफी नीचे रिकॉर्ड किया गया। प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में मौसम की सबसे ठंडी रात फिर से शून्य से 5.5 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज की गई। वहीं पहलगाम, कुकरनाग, काजीगुंड, कुपवाड़ा सहित कई अन्य क्षेत्रों में भी मौसम की सबसे ठंडी रात दर्ज की गई है। वहीं, पानी के जमे हुए यह स्रोत देश भर से आये पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
ऐसे ही दृश्य उत्तरी कश्मीर के बारामुला ज़िले में स्थित प्रसिद्ध पर्यटन स्थल गुलमर्ग के रास्ते में पड़ने वाले द्रंग टंगमर्ग में देखने को मिल रहे हैं। वहां भीषण ठंड के चलते पानी जमा हुआ है। बर्फ की लम्बी सलाखें जमी हुई हैं। काफी संख्या में पर्यटक उन्हें देखने और वहां फोटोग्राफी करने के लिए पहुंच रहे हैं।
दिल्ली से आई रश्मि मल्होत्रा ने कहा कि वह यहां घूमने आए हैं और यह अनोखे दृश्य उन्होंने पहली बार देखे हैं। काफी अच्छा महसूस हो रहा है। वहीं एक अन्य पर्यटक मोहित ने कहा कि कड़ाके की ठंड है लेकिन ऐसे मनमोह लेने वाले नजारों के लिए ठंड बर्दाश्त करनी पड़ रही है। क्योंकि ऐसे दृश्य हमारे लिए नए हैं। कभी सोचा भी नहीं था ऐसा अनुभव करने को मिलेगा। सच में जन्नत का एहसास है।
मौसम विभाग के अनुसार, पहलगाम में भी सीजन की सबसे ठंडी रात माइनस 6.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज की गई। दक्षिण कश्मीर के काजीगुंड में रात का तापमान शून्य से 4.4 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया है, जबकि कुकरनाग में यह शून्य से 3.3 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। आंकड़ों के अनुसार उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में भी मौसम की सबसे ठंडी रात शून्य से 5.1 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज की गई, जबकि प्रसिद्ध स्की-रिसॉर्ट गुलमर्ग में न्यूनतम तापमान शून्य से 5.2 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया है।
मौसम विज्ञानियों ने घाटी में लगातार शुष्क मौसम के बीच तीव्र शीत लहर की भविष्यवाणी की है। उन्होंने बताया कि दो दिवसीय बरसात के दौर से 29 और 30 दिसंबर को कश्मीर में लंबे समय से चले आ रहे सूखे के दौर के टूटने की उम्मीद है। इससे से मौसम में हल्की राहत की उम्मीद है। वहीं, इस बीच विश्व प्रसिद्ध डल झील के अंदरूनी हिस्सों में पानी जमना शुरू हो गया है। इसके अलावा पानी के अन्य स्रोत भी भीषण ठंड के चलते जमना शुरू हो गए हैं।
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