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प्रधानमंत्री ने काशी तमिल संगमम के माध्यम से सदियों बाद ये प्रयास किया है। ये प्रयास पूरे देश की भाषाओं और संस्कृतियों को जोड़ने का सफल प्रयास सिद्ध होगा। गृहमंत्री ने कहा कि आज मैं एक संदेश देना चाहता हूं कि विश्वास और प्रेम में एक समानता यह है कि दोनों को जबरदस्ती हासिल नहीं किया जा सकता। काशी तमिल संगमम ने आजादी के अमृतकाल वर्ष में उत्तर और दक्षिण भारत की संस्कृतियों के बीच विश्वास और प्रेम का नया माहौल खड़ा करने का काम किया है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि गुलामी के एक लंबे काल खंड में हमारी संस्कृति और विरासत को मलिन करने का प्रयास किया गया है। हमें आनंद है कि भारत की आजादी के अमृतकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांस्कृतिक पुनर्जागरण का काम किया है। मैं इसके लिए उन्हें बहुत-बहुत बधाई देना चाहता हूं।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत अनेक संस्कृतियों, भाषाओं, बोलियों और कलाओं से बना हुआ देश है। मगर, इन सबके बीच में बारीकी से देखें तो उसकी आत्मा एक है और वह भारत की आत्मा है। दुनिया के अन्य देश जिओ पॉलिटिकल आधार बने हुए हैं, लेकिन भारत के साथ ऐसा नहीं है।
अमित शाह ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कल्पना काशी तमिल संगमम की पूर्णाहुति होने जा रही है। मगर, यह पूर्णाहुति नहीं शुरुआत है। यह तमिलनाडु और काशी की महान संस्कृति, कला, दर्शन, ज्ञान के मिलन की शुरुआत है। यह प्रयास आजादी के तुरंत बाद होना चाहिए था, लेकिन काफी साल तक नहीं हुआ
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि तमिलनाडु से आए भाई-बहन काशी से गंगाजल ले जाकर रामेश्वरम में अभिषेक कीजिएगा। फिर जब वहां से आइएगा तो वहां की मिट्टी लाकर गंगा के रेत में मिलाइएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसी व्यवस्था की है कि पूरे देश को जानिए और समझिए। एक भारत श्रेष्ठ भारत की संकल्पना को साकार कीजिए।
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