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वक्ताओं ने कहा कि स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों के अनुसार, सी-2 प्लस 50 प्रतिशत के आधार पर किसानों की सभी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानून बनाने के लिए जो कमेटी बनाई गई है, उसे खत्म कर नई कमेटी बनाई जाए, जिसमें किसानों सहित संयुक्त किसान मोर्चे का सम्मानजनक प्रतिनिधित्व हो। वक्ताओं ने कहा कि सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी का कानून बनाया जाए।
कहा कि किसानों के उत्पादन के साधनों के दाम बढ़ाने और फसलों के सही दाम न मिलने से किसान आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। वक्ताओं ने एक स्वर से किसानों के सभी ऋण माफ करने की मांग की है। वक्ताओं ने राज्य सरकार द्वारा मनमाने ढंग से बिजली की दरों में बढ़ोतरी की निंदा की। इस मौके पर किसान सभा के सुरेंद्र सिंह सजवाण, गंगाधर नौटियाल, शिवप्रसाद देवली, कमरुद्दीन, दलजीत सिंह, बलबीर सिंह, पुरुषोत्तम बडोनी, अमर बहादुर शाही, बल्ली सिंह चीमा, महेंद्र जखमोला, लेखराज, किशन गुनियाल आदि मौजूद रहे।
भाकियू (तोमर) की ओर से बन्नू स्कूल ग्राउंड में महापंचायत का आयोजन किया गया। यहां भी किसानों ने अपनी कई मांगों को उठाया। अध्यक्ष संजीव तोमर ने कहा कि सरकार किसानों को परेशान करना बंद करे, नहीं तो किसान फिर से बड़ा आंदोलन करने के लिए मजबूर हो जाएंगे। पहाड़ के किसानों को उनकी फसलों का उचित दाम नहीं मिल रहा है। बावजूद इसके सरकार इस ओर कोई कदम नहीं उठा रही है। प्रदेश की गन्ना मिलें किसानों को समय से भुगतान नहीं करती हैं। एक माह से भी ज्यादा समय से मिलों में पेराई चालू है, लेकिन किसानों को भुगतान नहीं किया जा रहा है।
फसलों की एमएसपी की गारंटी, फसल बीमा समेत कई मांगों को लेकर शनिवार को प्रदेश के किसानों ने राजधानी में हुंकार भरी। इसके लिए भारतीय किसान यूनियन टिकैत ने महापंचायत कर अपनी मांगों को दोहराया और राज्यपाल के नाम प्रशासन को ज्ञापन सौंपा।
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उत्तराखंड का किसान भी हक की लड़ाई के लिए पहाड़ से लेकर मैदान तक सड़कों पर उतरेगा। 22 वर्ष बाद भी उत्तराखंड में किसानों को अपना हक नहीं मिल सका है। आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों को वापस लेने, राज्य में कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने आदि की भी मांग की।
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