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प्रदोष व्रत के दिन स्नान के बाद सफेद या नारंगी रंग के कपड़े पहना चाहिए.

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बेलपत्र के पेड़ में जल चढ़ाने के बाद व्रत का संकल्प लें.
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दिनभर निराहार रहकर शिव जी का स्मरण करें.

फिर शाम के समय स्नान कर बेलपत्र के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाएं.

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केसर मिश्रित दूध से शिव शंभू का अभिषेक करें.
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भांग, धतूरा, भस्म, बेलपत्र आदि शिव को चढ़ाएं.

भगवान शिव-पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराकर बिल्व पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं.

भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं.

ईश्वर शिव को साबुत चावल की खीर अर्पित करें और आरती कर प्रसाद ग्रहण करें.
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