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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार।
– फोटो : अमर उजाला डिजिटल
विस्तार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बिहार की महागठबंधन सरकार को लेकर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और अनुभवी नेता जीतन राम मांझी ने 14 जनवरी की मियाद बताई थी। कहा था कि कुछ बड़ा उलटफेर होगा। अचानक 13 जनवरी को भाजपा-विरोधी गठबंधन I.N.D.I.A. की पांचवीं बैठक हो गई। बैठक वर्चुअल थी, इसलिए पहले से माहौल नहीं बना था। बैठक के दौरान समाचार एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी कि इंडी एलायंस की बैठक में विपक्षी गठबंधन के सूत्रधार नीतीश कुमार को संयोजक पद का ऑफर मिला, लेकिन उन्होंने ठुकरा दिया। बैठक के बाद जदयू कोटे के मंत्री संजय झा बाहर आए तो उन्होंने स्वीकार किया कि संयोजक बनने का ऑफर मिला था, लेकिन ठुकराए जाने की जगह उन्होंने पार्टी स्तर पर विचार किए जाने की बात कही। उन्होंने एक बड़ी बात यह बताई कि सीट शेयरिंग पर इस बैठक में चर्चा तक नहीं हुई, जबकि नीतीश कुमार एक ही मुराद बता रहे। वह बार-बार सीट शेयरिंग जल्दी करने की चाहत जता चुके और किसी पद की इच्छा नहीं होने की जानकारी भी दे चुके। यह अलग बात है कि उनकी पार्टी की इच्छा उन्हें पीएम का प्रत्याशी घोषित करवाने की है।
नीतीश ने पहली बैठक से बता दी थी अपनी मुराद
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र भी भाजपा सरकार के खिलाफ विपक्षी एकता के सूत्रधार हैं- इससे इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि इन्हीं के प्रयास से 23 जून को विपक्षी दलों की पहली बैठक पटना में हो सकी थी। पहली बैठक में इंडी एलायंस का नाम तय नहीं हुआ, लेकिन माना जा रहा था कि सूत्रधार नीतीश कुमार को इसके संयोजक की जिम्मेदारी दी जाएगी। तब यह भी माना जा रहा था कि संयोजक बनने के बाद अगली सीढ़ी प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी की होगी। लेकिन, ऐसा कुछ चारों बैठकों में नहीं हुआ। दूसरी बैठक से नीतीश ने अपनी एक ही मुराद बताई- सीट शेयरिंग। चौथी बैठक नहीं हो पा रही थी, तो नीतीश ने कांग्रेस को इस बात पर हड़काया भी था। चौथी बैठक दिल्ली में हुई तो भी नीतीश ने सीट शेयरिंग के निश्चय पर बात की। अपने लिए कोई पद नहीं मांगा। अब पांचवीं बैठक 13 जनवरी को वर्चुअल हुई तो भी यही माना जा रहा था कि सीट शेयरिंग पर चर्चा होगी, लेकिन राज्य के मंत्री संजय झा ने बैठक के बाद बताया कि इस विषय पर चर्चा ही नहीं हुई। उन्होंने स्वीकार किया कि संयोजक पद को लेकर बात आई, लेकिन इसपर पार्टी विचार करेगी।
क्या अब संयोजक पद में कुछ बचा है, जब…
इंडी एलायंस की चौथी बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को प्रधानमंत्री का प्रत्याशी प्रस्तावित किया और आम आदमी पार्टी के सर्वेसर्वा अरविंद केजरीवाल ने सहमति जता दी। इस दौरान राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव मौजूद भी थे और चुप भी रहे। अब जब तृणमूल कांग्रेस की सर्वेसर्वा ममता बनर्जी की गैरहाजिरी में वर्चुअल बैठक हुई तो खरगे को इंडी एलायंस का अध्यक्ष पद देने की घोषणा की। जदयू ने भी इसपर हामी भरी। लेकिन, क्या यह हामी राजी-खुशी है? अगर इंडी एलायंस के अध्यक्ष के रूप में खरगे का ही नाम तय हो रहा और विपक्षियों के पीएम का चेहरा भी वही हैं तो फिर ‘संयोजक’ पद नीतीश स्वीकार क्यों करें? वह तो कोई पद नहीं लेने की बात कह रहे। जहां तक पार्टी में विचार करने की बात है तो जदयू के अंदर एक बात साफ है कि पार्टी नेताओं के अनुसार प्रधानमंत्री पद के लिए नीतीश कुमार से बेहतर और साफ चेहरा कोई नहीं। जदयू के लगभग हर नेता ने यह बात कई बार दुहराई है। साफ चेहरा बताने के बहाने भ्रष्टाचार में संलिप्त चेहरों को भी निशाना बनाया गया। भाजपा भी इन बातों पर नीतीश के प्रति नरमी और बाकी को भ्रष्टाचार के नाम पर घेरने की बात कह रही है। खास बात यह भी कि अभी इन बातों को ‘अंड-बंड’ बताने के लिए जदयू से भी कोई नहीं आ रहा है।
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