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सिटी बस।
– फोटो : अमर उजाला।
विस्तार
राजधानी में दौड़ रहीं सीएनसी सिटी बसें कभी भी हादसे को न्यौता दे सकती हैं। 128 सिटी बसें कंडम हो चुकी हैं। फिटनेस में भी फेल हैं और इन बसों में स्पीड गवर्नर तक नहीं है। ऐसे में सिटी बस प्रशासन रोजाना 35 हजार यात्रियों की जान जोखिम में डाल रहा है। प्रशासन नई बसों की उम्मीद में बैठा है, जिसके आने पर ही इन बसों को बेड़े से बाहर किया जा सकेगा।
जर्जर बॉडी, जाम खिड़कियां, रस्सी से बंधे दरवाजे, टूटे शीशे, इंजन से टपकता ऑयल। सिटी बसों की यही पहचान है। यही वजह है कि गत दिवस जब गोमतीनगर वर्कशॉप से सिटी बस मेंटीनेंस के बाद टेस्टिंग के लिए निकली तो उसमें आग लग गई। जेएनएनयूआरएम योजना के तहत लखनऊ में 128 सीएनजी सिटी बसों से रोजाना पैंतीस हजार पैसेंजर सफर कर रहे हैं।
इन बसों की उम्र पूरी हो चुकी है। इन्हें कंडम घोषित कर दिया गया है। फिर भी बसें सवारी ढो रही हैं। यह बसें अकसर बीच रास्ते दम तोड़ रही है, जिससे पैसेंजरों का सफर मुहाल हो रहा है। इतना ही नहीं फिटनेस के सभी मानकों पर सिटी बसें फेल हैं। इनमें लगे स्पीड गवर्नर खराब हैं।
फिटनेस टेस्ट में फेल सिटी बसें
ट्रांसपोर्टनगर स्थित आरटीओ के फिटनेस सेंटर में इन सिटी बसों की जांच हुई, जिसमें ये फेल हो चुकी हैं। सिटी बसों के पास फिटनेस प्रमाणपत्र तक नहीं है। फिटनेस में फेल होने के पीछे स्पीड गवर्नर नहीं होना भी वजह है। कलपुर्जे भी खराब हो चुके है। ऐसी स्थिति में ऑटोमेटिक फिटनेस सेंटर से बगैर फिटनेस प्रमाणपत्र सिटी बसें सवारियों को ढो रही है।
मिलेंगी इलेक्ट्रॉनिक बसें
सीएनजी सिटी बसें जैसे-जैसे उम्र पूरी कर रही है, वैसे वैसे इन्हें नीलाम किया जा रहा है। वर्तमान में 128 सीएनजी सिटी बसें चल रही हैं। नई 125 इलेक्ट्रिक बसों के आने पर ही इन्हें बेड़े से बाहर किया जा सकेगा। -आरके त्रिपाठी, एमडी, सिटी ट्रांसपोर्ट
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