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water problem
– फोटो : amar ujala
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एक तरफ नगर निगम के विभिन्न इलाकों में पानी की किल्लत है। वहीं शहर में आरओ वाले पानी का कारोबार करोड़ों रुपये का हो चुका है। यह कारोबार उन इलाकों में भी धड़ल्ले से फल फूल रहा है, जिन इलाकों में नगर निगम के पानी की सप्लाई होती है।
नगर निगम द्वारा सप्लाई किए जा रहे पानी को अधिकांश लोग पीने के काम में नहीं लाते हैं । नगर निगम का मुफ्त पानी छोड़कर लोग आरओ प्लांट का पानी खरीद कर पीना ज्यादा पसंद करते हैं। ऐसे में शहरवासियों के इस जरूरत को पूरा करने के लिए शहर के तकरीबन हर एक वार्ड में आरओ प्लांट की भरमार हो गई है और पीने के शुद्ध पानी के नाम पर पानी का धंधा खूब फल-फूल रहा है। दूसरी तरफ, किसी भी सरकारी विभाग का पानी के इस धंधे पर कोई लगाम नहीं है।
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बंधु सिंह नगर के सूफीहाता निवासी रुबीना के घर नगर निगम की सप्लाई तो है, लेकिन पीने के लिए वह जार वाले पानी का इस्तेमाल करती हैं। वहीं, रुस्तमपुर नहर रोड के व्यापारी सज्जन लाल गुप्ता भी अपने ग्राहकों की संतुष्टि के लिए आरओ प्लांट द्वारा जार में बेचे जा रहे पानी का ही इस्तेमाल करते हैं। तिवारीपुर के प्रणव उपाध्याय भी विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम के आयोजनों में जार वाला पानी ही मंगवाते हैं। कमोबेश यही स्थिति शहर के करीब करीब हरेक इलाकों में है।
पानी का प्लांट चलाने वाले रुस्तमपुर के कारोबारी शत्रुघ्न सिंह ने कहा कि रुस्तमपुर, महुई सुघरपुर, शिवाजी नगर, आजाद चौक, ट्रांसपोर्टनगर, महेवा मंडी आदि इलाकों की दुकानों में ही नहीं सैकड़ों घरों में जार वाले पानी की सप्लाई होती है। अगर प्लांट की बात करें तो ट्रांसपोर्टनगर से देवरिया बाईपास से बायीं ओर आरओ के 25 से ज्यादा प्लांट लगे हैं।
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