[ad_1]

बागपत अस्पताल में जांच के लिए पहुंची महिला
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
आधी आबादी में एनीमिया (रक्ताल्पता) गंभीर समस्या है। जनपद की किशोरियां एवं गर्भवतियों से लेकर सामान्य महिलाएं तक चपेट में हैं। हैरानी की बात यह है कि जिले की 50 प्रतिशत गर्भवती और 30 फीसदी सामान्य महिलाओं समेत करीब 20 फीसदी किशोरियां खून की कमी से जूझ रही हैं। पीएचसी, सीएचसी और जिला अस्पताल में रोजाना आने वाली कुल 750 महिला मरीजों में करीब 350 महिलाएं एनीमिया रोग से ग्रस्त पहुंच रही हैं। यह आलम तब है जब प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के अतिरिक्त तमाम ऐसी योजनाएं संचालित हैं। ये महिला स्वास्थ्य से जुड़ी हैं।
शासन की ओर से गर्भवती महिलाओं के लिए संचालित जननी सुरक्षा योजना में प्रसव के बाद 1400 रुपये मुहैया कराया जा रहा है। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत महिलाओं को गर्भधारण से लेकर प्रसव के बाद नवजात का टीकाकरण कराने तक तीन किस्तों में 5000 रुपये मिलते हैं। हर माह की नौ तारीख को जिला महिला अस्पताल के अतिरिक्त सीएचसी, पीएचसी पर प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षित अभियान दिवस मनाया जाता है। इसमें गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण के दौरान जांचकर आयरन और कैल्शियम की टेबलेट देकर खानपान के प्रति जागरूक किया जाता है।
इसके बावजूद जिले में खून की कमी से पीड़ित किशोरियों से लेकर गर्भवती एवं सामान्य महिलाओं की संख्या में अपेक्षित सुधार नहीं दिख रहा है। यह स्थिति तब है जब शासन स्तर से तमाम योजनाएं चल रही हैं। इसके बावजूद किशोरियों एवं गर्भवती महिलाओं में हीमोग्लोबिन की कमी पाई जा रही है। 50 फीसदी गभर्वती महिलाएं, 30 फीसदी सामान्य महिलाएं व 20 फीसदी किशोरियाें में हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से कम मिला है।
यह भी पढ़ें: Meerut: खरखौदा में बोरे में बंद महिला का शव मिलने से सनसनी, शरीर पर नहीं था कोई कपड़ा, जांच में जुटी पुलिस
[ad_2]
Source link