जफर महल: देखरेख के अभाव में खंडहर बना मुगल शासक का आखिरी महल, 1820 में शाहजहां के पोते कराया था निर्माण

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Zafar Mahal became ruins due to lack of maintenance in delhi

जफर महल
– फोटो : अमर उजाला

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‘कितना बदनसीब है जफर दफन के लिए, दो गज जमीन भी न मिली कू-ए-यार में’ यह शेर है बहादुर शाह जफर का, जो इस वक्त उनकी दशा पर सटीक इशारा कर रहा है। उस समय उन्हें दफनाने के लिए जमीन नहीं मिली और अब मुगल शासक बहादुर शाह जफर का ग्रीष्मकालीन जफर महल बदहाल है। दक्षिण दिल्ली स्थित यह महल खंडहर में तब्दील हो गया है। 

यहां संगमरमर के फूल की आकृतियां और महल पर बनीं विभिन्न नक्काशियां भी वक्त के साथ जर्जर होती जा रही हैं। हाल ही में संगमरमर से बनी जाली भी टूट गई है। इतिहासकारों का आरोप है कि कुछ लोगों ने इस जाली को क्षतिग्रस्त किया है। ऐसे में यह रखरखाव के अभाव के चलते गुमनामी के अंधेरे में हैं। यह मुगल शासकों की ओर से बनवाई गई अंतिम धरोहर है। यहां इतिहास में रुचि रखने वाले लोग व शोधार्थी घूमने आते हैं।

असामाजिक तत्वों का बना अड्डा

परिसर के अंदर जाते ही मस्जिद के ठीक पहले, तीन कब्रों वाला एक संलग्न स्थान है। दूसरी कब्र और तीसरी कब्र के बीच एक स्पष्ट जगह है। यह वह जगह है, जहां अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर अपने पिता की कब्र के ठीक बगल में दफनाए जाना चाहते थे। लेकिन अब, यहां जगह-जगह घास उग आई है। गुंबद जीर्णक्षीर्ण अवस्था में हैं। कभी चाकचौबंद व्यवस्था से घिरा रहने वाला यह महल, आज असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है। हालांकि, महल के गेट पर सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं, लेकिन यहां कुछ लोग चोरी-छिपे अंदर पहुंच जाते हैं।  यहां मौजूद सुरक्षाकर्मी ने बताया कि कब्र के पास संगमरमर की जाली बीते दिनों टूट गई थी। वह कहते हैं कि यह किसी ने तोड़ी है या फिर बंदरों ने इसे क्षतिग्रस्त किया है। इसको लेकर अधिकारियों को सूचित किया गया है।

बहादुर शाह जफर ने कराया था जीर्णोद्धार

जफर महल का निर्माण सन् 1820 में शाहजहां के पोते अकबर शाह द्वितीय ने करवाया था। लेकिन, इसका 1847-1857 के बीच जीर्णोद्धार बहादुर शाह जफर ने कराया था। साथ ही, आखिरी मुगल बादशाह ने महल के बाहरी भाग में एक आलीशान दरवाजे का भी निर्माण करते हुए इसका भव्य विस्तार कराया था। उसके बाद जल्द ही, महल को जफर महल कहा जाने लगा। यह लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से बना है। लगभग 50 फुट ऊंचा और 11 फुट, 9 इंच चौड़ा द्वार है। यह तीन मंजिला है, जिसमें बंगाल के गुंबदों से ढंकी व उभरी हुई खिड़कियां हैं। 

जल्द किया जाएगा संरक्षण कार्य

एएसआई के दिल्ली सर्कल चीफ व सुपरिटेंडेंट आर्कियोलॉजिस्ट प्रवीण सिंह ने बताया कि अप्रैल में जफर महल की मरम्मत शुरू करने की उम्मीद थी, लेकिन लागत अनुमान निर्धारित नहीं होने के कारण काम में देरी हुई है। यह महल क्षतिग्रस्त है। जाली के टूटने को लेकर शिकायत भी की गई हैं। इसका जल्द संरक्षण कार्य किया जाएगा।

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