जम्मू कश्मीर: अफसरों पर भ्रष्टाचार की 35 FIR में सरकार की कुंडली, कोर्ट में एटीआर तलब

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दो नए केंद्र शासित प्रदेशों में बंटा जम्मू-कश्मीर

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– फोटो : Amar Ujala

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भ्रष्टाचार के 35 मामलों में संलिप्त आईएएस और जेकेएएस अफसरों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। इन अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन चलाने की स्वीकृति नहीं दी जा रही। इस वजह से इनके खिलाफ दर्ज मामलों की जांच लंबित हैं। यह आरोप एडवोकेट शकील अहमद शेख ने इस मामले से जुड़ी याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जानकारी देते हुए लगाए। मुख्य कार्यकारी न्यायाधीश ताशी रबस्टन और न्यायाधीश राजेश सेकरी की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई की। दलीलें सुनने के बाद खंडपीठ ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, सामान्य प्रशासनिक विभाग जम्मू-कश्मीर और एंटी करप्शन ब्यूरो से जवाब तलब किया है। 17 फरवरी 2023 से पहले इस मामले में एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) और मौजूदा स्थिति की जानकारी देने का आदेश दिया है।

एडवोकेट एसएस अहमद ने तर्क दिया कि एक वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बावजूद मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है। डॉ. मनमोहन सिंह बनाम डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों को भी खारिज कर दिया गया है। इस आदेश में साफ है कि यदि संबंधित विभाग से संपर्क करने के तीन महीने बाद भी कोई जवाब नहीं आता तो उसे अभियोजन स्वीकृति माना जाएगा, लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी ऐसा नहीं किया गया है।  

कुंडली मार कर बैठा है डीओपीटी, जीएडी

शकील ने कहा, डीओपीटी और जेके जीएडी दोनों ही इस मामले पर कुंडली मार कर बैठे हुए हैं। इसमें प्रथम दृष्टया साफ नजर आता है कि सीबीआई/एसीबी ने जिन दागी नौकरशाहों पर प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार के मामले स्थापित किए हैं, उन्हें बचाया जा रहा है। लिहाजा इन मामलों में नए सिरे से जांच रिपोर्ट तलब करने की आवश्यकता है, ताकि खंडपीठ द्वारा एक दृष्टिकोण लिया जा सके। वहीं सरकारी वकीलों ने इस मामले में रिपोर्ट करने के लिए खंडपीठ से वक्त मांगा। इस पर 17 फरवरी 2023 तक का समय दिया गया है। 

2012 में दायर हुई थी जनहित याचिका

वर्ष 2012 में शेख मोहम्मद शफी ने इसे लेकर जनहित याचिका दायर की थी। शेख ने अपनी याचिका में उजागर किया कि भ्रष्टाचार के मामलों में संलिप्त आईएएस और जेकेएएस अफसरों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति नहीं मिल रही। एडवोकेट शकील अहमद ने इस मामले में एडवोकेट जनरल के 4 संकलनों की तरफ ध्यान दिलाया। यह संकलन 15 दिसंबर 2021 को पेश किए गए थे। जिसमें कोर्ट को बताया गया था कि वर्ष 2012 से लेकर 2018 तक 35 एफआईआर ऐसी हैं, जिनमें अफसरों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति लंबित है। 

एडवोकेट शकील ने उक्त एफआईआार में से कुछ का जिक्र किया। बताया कि आर्म लाइसेंस मामलों में दर्ज सीबीआई की एफआईआर में जीएडी ने जेकेएएस अफसरों के खिलाफ स्वीकृति दी, लेकिन आईएएस अफसरों के मामलों में सीबीआई ने 93 पन्नों वाली रिपोर्ट कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को 9 अप्रैल 2021 को भेजा, ताकि स्वीकृति ली जा सके। इसी तरह के एक अन्य गन लाइसेंस मामले में ही 132 पन्नों की रिपोर्ट भेज कर स्वीकृति मांगी गई। जेएनफ

भ्रष्टाचार के यह हैं गंभीर मामले

  • 4 लाख लोगों को फर्जी गन लाइसेंस देने का मामला
  • 25 लाख कनाल जमीन का रोशनी घोटाला 
  • लाखों रुपये के राशन घोटाले
  • कश्मीर में अवैध रूप से होटल बनाने की अनुुमति का मामला
  • वन भूमि पर अतिक्रमण कर आवास बनाने के मामल

विस्तार

भ्रष्टाचार के 35 मामलों में संलिप्त आईएएस और जेकेएएस अफसरों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। इन अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन चलाने की स्वीकृति नहीं दी जा रही। इस वजह से इनके खिलाफ दर्ज मामलों की जांच लंबित हैं। यह आरोप एडवोकेट शकील अहमद शेख ने इस मामले से जुड़ी याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जानकारी देते हुए लगाए। मुख्य कार्यकारी न्यायाधीश ताशी रबस्टन और न्यायाधीश राजेश सेकरी की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई की। दलीलें सुनने के बाद खंडपीठ ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, सामान्य प्रशासनिक विभाग जम्मू-कश्मीर और एंटी करप्शन ब्यूरो से जवाब तलब किया है। 17 फरवरी 2023 से पहले इस मामले में एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) और मौजूदा स्थिति की जानकारी देने का आदेश दिया है।

एडवोकेट एसएस अहमद ने तर्क दिया कि एक वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बावजूद मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है। डॉ. मनमोहन सिंह बनाम डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों को भी खारिज कर दिया गया है। इस आदेश में साफ है कि यदि संबंधित विभाग से संपर्क करने के तीन महीने बाद भी कोई जवाब नहीं आता तो उसे अभियोजन स्वीकृति माना जाएगा, लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी ऐसा नहीं किया गया है।  

कुंडली मार कर बैठा है डीओपीटी, जीएडी

शकील ने कहा, डीओपीटी और जेके जीएडी दोनों ही इस मामले पर कुंडली मार कर बैठे हुए हैं। इसमें प्रथम दृष्टया साफ नजर आता है कि सीबीआई/एसीबी ने जिन दागी नौकरशाहों पर प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार के मामले स्थापित किए हैं, उन्हें बचाया जा रहा है। लिहाजा इन मामलों में नए सिरे से जांच रिपोर्ट तलब करने की आवश्यकता है, ताकि खंडपीठ द्वारा एक दृष्टिकोण लिया जा सके। वहीं सरकारी वकीलों ने इस मामले में रिपोर्ट करने के लिए खंडपीठ से वक्त मांगा। इस पर 17 फरवरी 2023 तक का समय दिया गया है। 

2012 में दायर हुई थी जनहित याचिका

वर्ष 2012 में शेख मोहम्मद शफी ने इसे लेकर जनहित याचिका दायर की थी। शेख ने अपनी याचिका में उजागर किया कि भ्रष्टाचार के मामलों में संलिप्त आईएएस और जेकेएएस अफसरों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति नहीं मिल रही। एडवोकेट शकील अहमद ने इस मामले में एडवोकेट जनरल के 4 संकलनों की तरफ ध्यान दिलाया। यह संकलन 15 दिसंबर 2021 को पेश किए गए थे। जिसमें कोर्ट को बताया गया था कि वर्ष 2012 से लेकर 2018 तक 35 एफआईआर ऐसी हैं, जिनमें अफसरों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति लंबित है। 

एडवोकेट शकील ने उक्त एफआईआार में से कुछ का जिक्र किया। बताया कि आर्म लाइसेंस मामलों में दर्ज सीबीआई की एफआईआर में जीएडी ने जेकेएएस अफसरों के खिलाफ स्वीकृति दी, लेकिन आईएएस अफसरों के मामलों में सीबीआई ने 93 पन्नों वाली रिपोर्ट कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को 9 अप्रैल 2021 को भेजा, ताकि स्वीकृति ली जा सके। इसी तरह के एक अन्य गन लाइसेंस मामले में ही 132 पन्नों की रिपोर्ट भेज कर स्वीकृति मांगी गई। जेएनफ

भ्रष्टाचार के यह हैं गंभीर मामले

  • 4 लाख लोगों को फर्जी गन लाइसेंस देने का मामला
  • 25 लाख कनाल जमीन का रोशनी घोटाला 
  • लाखों रुपये के राशन घोटाले
  • कश्मीर में अवैध रूप से होटल बनाने की अनुुमति का मामला
  • वन भूमि पर अतिक्रमण कर आवास बनाने के मामल



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