जम्मू कश्मीर: अमरनाथ यात्रा के लिए नदी से दूर हो ढांचागत संरचनाओं का विकास, एनजीटी ने सरकार ने दिए निर्देश

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अमरनाथ यात्रा के दौरान तबाही(FILE)

अमरनाथ यात्रा के दौरान तबाही(FILE)
– फोटो : Social media

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राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने निर्देश दिया है कि अमरनाथ यात्रा के दौरान बुनियादी ढांचागत संरचनाओं का विकास नदी के किनारे से दूर किया जाए। साथ ही तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए आवश्यक सुरक्षा उपाय अपनाए जाएं। 

ट्रिब्यूनल वीरवार को एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें दावा किया गया था कि इस वर्ष अमरनाथ की पवित्र गुफा के पास सूखी नदी के तल पर तीर्थयात्रियों के लिए टेंट लगाने में पर्यावरण और सुरक्षा मानदंडों का उल्लंघन किया गया था।

इसमें कहा गया है कि नियमों का पालन नहीं करने के कारण एक जुलाई को अचानक आई बाढ़ में 16 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। जुलाई में जस्टिस एके गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से इस पर जवाब मांगा था।

संबंधित प्राधिकारों ने अपने जवाब में कहा था कि वह पर्यावरण के नियमों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और यह सुनिश्चित करेंगे की भविष्य फिर ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो। जवाब पर गौर करते हुए पीठ ने कहा, यह हादसा प्राकृतिक आपदा है और यह मानवीय सीमा से परे है। 

पवित्र अमरनाथ गुफा के बाहर लगाए गए टेंट 8 जुलाई को सैलाब की चपेट में आ गए थे। बाढ़ में बहने और मलबे में दबने से 16 लोगों की मौत हो गई थी। आपदा प्रबंधन से जुड़ी एजेंसियां कई दिनों तक मलबे में दबे लोगाें को तलाशती रहीं।

इस घटना के बाद इंतजाम करने वाली एजेंसियों पर सवाल उठाए गए थे। आरोप था कि जहां से पानी गुजरता है, उसी नाले के पास टेंट लगा दिए, जिससे बारिश का पानी 16 लोगों की मौत का सबब बन गया।

विस्तार

राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने निर्देश दिया है कि अमरनाथ यात्रा के दौरान बुनियादी ढांचागत संरचनाओं का विकास नदी के किनारे से दूर किया जाए। साथ ही तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए आवश्यक सुरक्षा उपाय अपनाए जाएं। 

ट्रिब्यूनल वीरवार को एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें दावा किया गया था कि इस वर्ष अमरनाथ की पवित्र गुफा के पास सूखी नदी के तल पर तीर्थयात्रियों के लिए टेंट लगाने में पर्यावरण और सुरक्षा मानदंडों का उल्लंघन किया गया था।

इसमें कहा गया है कि नियमों का पालन नहीं करने के कारण एक जुलाई को अचानक आई बाढ़ में 16 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। जुलाई में जस्टिस एके गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से इस पर जवाब मांगा था।

संबंधित प्राधिकारों ने अपने जवाब में कहा था कि वह पर्यावरण के नियमों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और यह सुनिश्चित करेंगे की भविष्य फिर ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो। जवाब पर गौर करते हुए पीठ ने कहा, यह हादसा प्राकृतिक आपदा है और यह मानवीय सीमा से परे है। 

पवित्र अमरनाथ गुफा के बाहर लगाए गए टेंट 8 जुलाई को सैलाब की चपेट में आ गए थे। बाढ़ में बहने और मलबे में दबने से 16 लोगों की मौत हो गई थी। आपदा प्रबंधन से जुड़ी एजेंसियां कई दिनों तक मलबे में दबे लोगाें को तलाशती रहीं।

इस घटना के बाद इंतजाम करने वाली एजेंसियों पर सवाल उठाए गए थे। आरोप था कि जहां से पानी गुजरता है, उसी नाले के पास टेंट लगा दिए, जिससे बारिश का पानी 16 लोगों की मौत का सबब बन गया।



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