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LG Manoj Sinha
– फोटो : सोशल मीडिया
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जम्मू-कश्मीर में गांव-गांव और शहर-शहर संस्कृत की अलख जगाने के लिए मंगलवार को मोबाइल संस्कृत गुरुकुल का शुभारंभ किया गया। उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने गुरुकुल को हरी झंडी दिखाते हुए कहा कि संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीनतम भाषा है। इसके प्रचार तथा इसे आगे बढ़ाने के लिए सभी को आगे आना चाहिए। जी-20 अध्यक्षता कार्यक्रम के दौरान हमें अपनी विरासत, मूल्यों तथा आदर्शों को निश्चित रूप से प्रदर्शित करना चाहिए।
इसके लिए सभी प्रमुख संस्थानों को वर्ष पर्यंत गतिविधियों की योजना सरकारी विभागों की मदद से तैयार करनी चाहिए। इस अवसर पर डीआईजी व चूड़ामणि संस्कृत संस्थान के प्रमुख न्यासी शक्ति पाठक को कैलख संस्कृत रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया।
स्कॉस्ट जम्मू में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि संस्कृत किसी धर्म विशेष से जुड़ा हुई नहीं है। इसमें प्राचीन भारत की संपूर्ण जानकारी उपलब्ध है जिसमें आर्यभट्ट, चरक, सुश्रुत, भाष्कराचार्य, वाराहमिहिर, ब्रह्मगुप्त जैसे वैज्ञानिक, चिकित्सा विज्ञानी तथा गणितज्ञ शामिल थे। संस्कृत एक भाषा से अधिक है। यह हमारे सामाजिक मूूल्यों तथा मानवता का पथ प्रदर्शक भी है।
हमारा संदेश शुरू से ही वसुधैव कुटुंबकम का है। संस्कृत शांति, प्रगति तथा एकता का रास्ता दिखाती है। यह विश्व की सभी सभ्य भाषाओं की मातृ भाषा है। उन्होंने कहा कि वैश्विक जगत में आज कई विदेशी विश्वविद्यालय संस्कृत को बढ़ावा देने, विकास तथा शोध में योगदान दे रहे हैं। यह भारत के वैश्विक स्तर पर धाक बनने तथा सांस्कृतिक विरासत के ज्ञान, सामाजिक, आध्यात्मिक मूल्यों के कारण संभव हो सका है।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संस्कृत, योग तथा भारतीय दर्शन को पुनर्जीवित करने के लिए आभार जताया। कहा कि केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में संस्कृत के ज्ञान को बढ़ा रहा है। उन्होंने कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान की ओर से संस्कृत को बढ़ावा दिए जाने के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि हमें आगे आना चाहिए तथा देव भाषा को लोकप्रिय बनाने की दिशा में काम करना चाहिए।
संस्कृत को अपनाने की जरूरत
अटल पीठाधीश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने वाली भाषा संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए सामूहिक प्रयास करना चाहिए। स्कॉस्ट के वीसी प्रो. जेपी शर्मा ने कहा कि आज संस्कृत को बढ़ाने तथा अपनाने की जरूरत है। इसके लिए सभी को सामूहिक प्रयास करना चाहिए। मोबाइल गुरुकुल प्रत्येक गांव व घर में संस्कृत को अपनाने के लिए लोगों को जागरूक करेगा।
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो. मदन मोहन झा ने कहा कि पिछले एक साल से विभिन्न संस्थानों की ओर से संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए कई पहल शुरू की गई हैं। पूर्व मंत्री शाम लाल शर्मा ने कहा कि संस्कृत ने प्राचीन परंपराओं तथा संस्कृति को संरक्षित रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मोबाइल गुरुकुल एसडीएम मेमोरियल ट्रस्ट के चेयरमैन राकेश गंडोत्रा की ओर से उपलब्ध कराया गया। कार्यक्रम में कैलख ट्रस्ट के महंत रोहित शास्त्री, महंत रामेश्वर दास, एडीजी मुकेश सिंह, जेएंडके बैंक बोर्ड के सदस्य आरके छिब्बर, डीआईजी विवेक गुप्ता, डीसी अवनी लवासा समेत कई लोग उपस्थित थे।
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