जम्मू-कश्मीर: गर्मियों में हो सकते हैं विधानसभा चुनाव, मौसम और सुरक्षा के आधार पर तय होगा कार्यक्रम

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जम्मू-कश्मीर निकाय चुनाव(FILE)

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जम्मू-कश्मीर में ठंड कम होने पर अगले साल गर्मियों में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। सूत्रों का दावा है कि चुनाव उस समय के सुरक्षा परिदृश्य पर निर्भर करेंगे। जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को वर्ष 2019 में निरस्त कर दिया था। 

 

इसके साथ ही तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर की अंतिम मतदाता सूची 25 नवंबर को प्रकाशित हुई थी, जिसके बाद चुनावों का मार्ग प्रशस्त हो गया था। सूत्रों ने कहा, सर्दियों की कठिन परिस्थितियों को देखते हुए चुनाव अधिकारियों के पास अगले साल की गर्मियों में चुनाव करने के अलावा कोई विकल्प नहीं दिख रहा।

 

सूत्रों ने कहा, मौसम और सुरक्षा दो ऐसे मापदंड हैं जिसके आधार पर चुनाव कार्यक्रम तय किया जाता है। जम्मू-कश्मीर की जमीनी स्थिति और इसके सामरिक महत्व को देखते हुए यहां चुनाव कराने के लिए बड़े पैमाने पर सुरक्षाबलों की आवश्यकता होती है।

 

जिसके तहत व्यापक पैमाने पर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के कर्मचारियों को शांतिपूर्ण, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए तैनात किया जाता है। जम्मू-कश्मीर में चुनावी कवायद आमतौर पर एक महीने तक चलती है। करीब तीन साल के अंतराल के बाद मतदाता सूची का पुनरीक्षण किया गया।
 

अंतिम बार 1 जनवरी 2019 को इसे प्रकाशित किया गया था। 370 हटाने के बाद मतदाता सूची का अद्यतन नहीं किया जा सका। बाद में परिसीमन के बाद निर्वाचन क्षेत्रों को फिर से रेखांकित किया गया। परिसीमन के बाद पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर को आवंटित सीटों को छोड़कर, विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो गई है।

7.72 लाख मतदाता बढ़े

जम्मू-कश्मीर की अंतिम मतदाता सूची 25 नवंबर को प्रकाशित की गई थी, जिसमें 11 लाख से अधिक मतदाता थे। अधिकारियों ने बताया था कि सूची से नाम हटाने के बाद 7,72,872 मतदाता बढ़े थे। ंअंतिम मतदाता सूची में कुल 83,59,771 मतदाता हैं, जिसमें 42,91,687 पुरुष, 40,67,900 महिलाएं और 184 किन्नर हैं। 

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जम्मू-कश्मीर में ठंड कम होने पर अगले साल गर्मियों में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। सूत्रों का दावा है कि चुनाव उस समय के सुरक्षा परिदृश्य पर निर्भर करेंगे। जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को वर्ष 2019 में निरस्त कर दिया था। 

 

इसके साथ ही तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर की अंतिम मतदाता सूची 25 नवंबर को प्रकाशित हुई थी, जिसके बाद चुनावों का मार्ग प्रशस्त हो गया था। सूत्रों ने कहा, सर्दियों की कठिन परिस्थितियों को देखते हुए चुनाव अधिकारियों के पास अगले साल की गर्मियों में चुनाव करने के अलावा कोई विकल्प नहीं दिख रहा।

 

सूत्रों ने कहा, मौसम और सुरक्षा दो ऐसे मापदंड हैं जिसके आधार पर चुनाव कार्यक्रम तय किया जाता है। जम्मू-कश्मीर की जमीनी स्थिति और इसके सामरिक महत्व को देखते हुए यहां चुनाव कराने के लिए बड़े पैमाने पर सुरक्षाबलों की आवश्यकता होती है।

 

जिसके तहत व्यापक पैमाने पर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के कर्मचारियों को शांतिपूर्ण, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए तैनात किया जाता है। जम्मू-कश्मीर में चुनावी कवायद आमतौर पर एक महीने तक चलती है। करीब तीन साल के अंतराल के बाद मतदाता सूची का पुनरीक्षण किया गया।

 

अंतिम बार 1 जनवरी 2019 को इसे प्रकाशित किया गया था। 370 हटाने के बाद मतदाता सूची का अद्यतन नहीं किया जा सका। बाद में परिसीमन के बाद निर्वाचन क्षेत्रों को फिर से रेखांकित किया गया। परिसीमन के बाद पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर को आवंटित सीटों को छोड़कर, विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो गई है।

7.72 लाख मतदाता बढ़े

जम्मू-कश्मीर की अंतिम मतदाता सूची 25 नवंबर को प्रकाशित की गई थी, जिसमें 11 लाख से अधिक मतदाता थे। अधिकारियों ने बताया था कि सूची से नाम हटाने के बाद 7,72,872 मतदाता बढ़े थे। ंअंतिम मतदाता सूची में कुल 83,59,771 मतदाता हैं, जिसमें 42,91,687 पुरुष, 40,67,900 महिलाएं और 184 किन्नर हैं। 



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