जम्मू कश्मीर: बसोहली चित्रकला धरोहर के साथ साधना और तपस्या, जेयू कुलपति बोले- संस्कृति बचाना सबकी जिम्मेदारी

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जम्मू विवि के कुलपति छात्रों से बात करते हुए

जम्मू विवि के कुलपति छात्रों से बात करते हुए
– फोटो : अमर उजाला

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जम्मू विश्वविद्यालय (जेयू) के कुलपति प्रोफेसर उमेश राय ने कहा कि बसोहली चित्रकला धरोहर के साथ साधना और तपस्या भी है। इसे बचाने में शिक्षण संस्थान का अधिक योगदान है। जनरल जोरावर सिंह सभागार में म्यूजियोलॉजी अध्ययन केंद्र में बसोहली पेंटिंग पर आयोजित दो साप्ताहिक प्रशिक्षण कार्यशाला के दौरान कुलपति ने छात्रों से बात की। 

कुलपति ने प्रतिभागियों के साथ मुलाकात कर उनका मनोबल भी बढ़ाया। साथ ही चित्रकला के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि किसी भी क्षेत्र की खास पहचान उसकी धरोहर और संस्कृति से होती है।

अपनी धरोहर और संस्कृति को बचाए रखना सभी की जिम्मेदारी है। इसी उद्देश्य से विश्वविद्यालय ने सिंडिकेट की बैठक में संस्कृति और धरोहर में एक वर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा शुरू करने के प्रस्ताव को भी मंजरी दी है।

कुलपति ने प्रतिभागियों के साथ बातचीत में बताया कि डिग्री प्राप्त करने वाला व्यक्ति ही बुद्धिजीवी नहीं हो सकता है। गांव में बेहतर कृषि करने वाला किसान या किसी अन्य पेशे से जुड़ा व्यक्ति भी बुद्धिजीवी हो सकता है।

उन्होंने कहा कि बुद्धिजीवी व्यक्ति के लिए डिग्री का होना अनिवार्य नहीं, वह अपने आप में रोड मॉडल होता है। वह अन्य के लिए प्रेरणा स्रोत होता है। डिग्री के बंधन को हटाकर बुद्धिजीवी वर्ग की बात होनी चाहिए।

मौके पर संग्रहालय अध्ययन केंद्र की निदेशक प्रोफेसर पूनम चौधरी, विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रोफेसर अरविंद जसरोटिया, डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रोफेसर प्रकाश अंथाल, वीसी के सचिव डॉ. नीरज शर्मा उपस्थित रहे। 

सोहन लाल ने 30 प्रतिभागियों को दिया प्रशिक्षण 

म्यूजियोलॉजी केंद्र में 5 दिसंबर को कार्यशाला का आगाज हुआ था। इंडियन म्यूजिकल एंड फाइन आर्ट्स और उम्मीद ग्रुप के प्रतिभागियों ने कार्यशाला में हिस्सा लिया। चित्रकला के क्षेत्र में बीते 32 साल से काम कर रहे बसोहली के सोहन लाल बलोरिया ने 30 प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया। 

अध्ययन केंद्र से मिला बेहतर सहयोग

राजोरी के नौवशेहरा की प्रियंका चौधरी ने कहा कि म्यूजिक एंड फाइन आर्ट्स संस्थान में स्नातक तीसरे सेमेस्टर की छात्रा हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें अध्ययन केंद्र की तरफ से बेहतर सहयोग मिला है। सामग्री भी उपलब्ध करवाई गई है। चित्रकला की बारीकियां सीखी हैं। 

चित्रकारी से 2008 से हैं जुड़े 

पुंछ जिले की श्रुति शर्मा ने कहा कि वह म्यूजिक एंड फाइन आर्ट्स में स्नातक पहले सेमेस्टर की छात्रा हैं। वह भिन्न विषयों पर चित्रकारी करती हैं और 2008 से इससे जुड़ी हैं। उन्होेंने कहा कि लंदन में हुई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भी पुरस्कार जीता है। 

गंभीरता के साथ कर रहे अभ्यास 

उम्मीद ग्रुप से कार्यशाला में शामिल बसोहली की तानिया ने कहा कि उन्होंने बारहवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी है। वर्तमान में चित्रकला से जुड़ी हैं। यह जीविकोपार्जन का माध्यम बन सके, इसके लिए गंभीरता के साथ अभ्यास कर रही हैं। 

दादा से मिली चित्रकला की प्रेरणा 

जम्मू के प्रतिभागी जसदीप सिंह बतरा ने कहा कि चित्रकला की प्रेरणा दादा से मिली। दादा भी फाइन आर्ट्स के अच्छे जानकार हैं। इस कारण बचपन से चित्रकारी का मौका मिला। भविष्य में फिल्म इंडस्ट्री में जाने की ख्वाहिश है। 

विस्तार

जम्मू विश्वविद्यालय (जेयू) के कुलपति प्रोफेसर उमेश राय ने कहा कि बसोहली चित्रकला धरोहर के साथ साधना और तपस्या भी है। इसे बचाने में शिक्षण संस्थान का अधिक योगदान है। जनरल जोरावर सिंह सभागार में म्यूजियोलॉजी अध्ययन केंद्र में बसोहली पेंटिंग पर आयोजित दो साप्ताहिक प्रशिक्षण कार्यशाला के दौरान कुलपति ने छात्रों से बात की। 

कुलपति ने प्रतिभागियों के साथ मुलाकात कर उनका मनोबल भी बढ़ाया। साथ ही चित्रकला के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि किसी भी क्षेत्र की खास पहचान उसकी धरोहर और संस्कृति से होती है।

अपनी धरोहर और संस्कृति को बचाए रखना सभी की जिम्मेदारी है। इसी उद्देश्य से विश्वविद्यालय ने सिंडिकेट की बैठक में संस्कृति और धरोहर में एक वर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा शुरू करने के प्रस्ताव को भी मंजरी दी है।

कुलपति ने प्रतिभागियों के साथ बातचीत में बताया कि डिग्री प्राप्त करने वाला व्यक्ति ही बुद्धिजीवी नहीं हो सकता है। गांव में बेहतर कृषि करने वाला किसान या किसी अन्य पेशे से जुड़ा व्यक्ति भी बुद्धिजीवी हो सकता है।

उन्होंने कहा कि बुद्धिजीवी व्यक्ति के लिए डिग्री का होना अनिवार्य नहीं, वह अपने आप में रोड मॉडल होता है। वह अन्य के लिए प्रेरणा स्रोत होता है। डिग्री के बंधन को हटाकर बुद्धिजीवी वर्ग की बात होनी चाहिए।

मौके पर संग्रहालय अध्ययन केंद्र की निदेशक प्रोफेसर पूनम चौधरी, विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रोफेसर अरविंद जसरोटिया, डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रोफेसर प्रकाश अंथाल, वीसी के सचिव डॉ. नीरज शर्मा उपस्थित रहे। 

सोहन लाल ने 30 प्रतिभागियों को दिया प्रशिक्षण 

म्यूजियोलॉजी केंद्र में 5 दिसंबर को कार्यशाला का आगाज हुआ था। इंडियन म्यूजिकल एंड फाइन आर्ट्स और उम्मीद ग्रुप के प्रतिभागियों ने कार्यशाला में हिस्सा लिया। चित्रकला के क्षेत्र में बीते 32 साल से काम कर रहे बसोहली के सोहन लाल बलोरिया ने 30 प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया। 

अध्ययन केंद्र से मिला बेहतर सहयोग

राजोरी के नौवशेहरा की प्रियंका चौधरी ने कहा कि म्यूजिक एंड फाइन आर्ट्स संस्थान में स्नातक तीसरे सेमेस्टर की छात्रा हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें अध्ययन केंद्र की तरफ से बेहतर सहयोग मिला है। सामग्री भी उपलब्ध करवाई गई है। चित्रकला की बारीकियां सीखी हैं। 

चित्रकारी से 2008 से हैं जुड़े 

पुंछ जिले की श्रुति शर्मा ने कहा कि वह म्यूजिक एंड फाइन आर्ट्स में स्नातक पहले सेमेस्टर की छात्रा हैं। वह भिन्न विषयों पर चित्रकारी करती हैं और 2008 से इससे जुड़ी हैं। उन्होेंने कहा कि लंदन में हुई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भी पुरस्कार जीता है। 

गंभीरता के साथ कर रहे अभ्यास 

उम्मीद ग्रुप से कार्यशाला में शामिल बसोहली की तानिया ने कहा कि उन्होंने बारहवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी है। वर्तमान में चित्रकला से जुड़ी हैं। यह जीविकोपार्जन का माध्यम बन सके, इसके लिए गंभीरता के साथ अभ्यास कर रही हैं। 

दादा से मिली चित्रकला की प्रेरणा 

जम्मू के प्रतिभागी जसदीप सिंह बतरा ने कहा कि चित्रकला की प्रेरणा दादा से मिली। दादा भी फाइन आर्ट्स के अच्छे जानकार हैं। इस कारण बचपन से चित्रकारी का मौका मिला। भविष्य में फिल्म इंडस्ट्री में जाने की ख्वाहिश है। 



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