जम्मू कश्मीर: बिजली संकट से राहत पाने के लिए ऊर्जा मंत्रालय से मांगी मदद, प्रदेश में कई घंटों की चल रही कटौती

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बिजली उपभोक्ताओं को करंट का झटका

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– फोटो : सोशल मीडिया

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कड़ाके की ठंड के बीच जम्मू कश्मीर में बढ़ते बिजली संकट से राहत पाने के लिए केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय से अतिरिक्त बिजली की मांग की गई है। जम्मू और कश्मीर संभाग में बिजली की मांग और आपूर्ति में कई सौ मेगावाट का अंतर चल रहा है, जिससे खासतौर पर पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों में बिजली कटौती बढ़ी है।

उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने वीरवार को नई दिल्ली में केंद्रीय ऊर्जा व एनआरई मंत्री आरके सिंह से मुलाकात कर जम्मू कश्मीर के मौजूदा विद्युत परिदृश्य से अवगत कराया। बताया गया कि अतिरिक्त बिजली मिलने से प्रदेश में बिजली आपूर्ति को सुचारू बनाया जा सकता है। 

सूत्रों के अनुसार जम्मू संभाग के दस जिलों में मौजूदा 1200 मेगावाट की मांग है, लेकिन 700 से 800 मेगावाट ही आपूर्ति हो पा रही है। इसी तरह कश्मीर संभाग के दस जिलों के लिए 1500 मेगावाट की मांग पर 800 से 900 मेगावाट बिजली की ही आपूर्ति हो पा रही है, यानी दोनों संभागों में मांग के मुताबिक करीब 1000 मेगावाट की कमी चल रही है।

इस साल गर्मियों में भी कटौती के चलते केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय से अतिरिक्त 100-100 मेगावाट बिजली की मांग की गई थी, जिसके बाद बिजली आपूर्ति सुचारू हुई थी। बताया जाता है कि उप राज्यपाल ने दोनों संभागों के लिए केंद्रीय मंत्रालय से 200-200 अतिरिक्त मेगावाट बिजली की मांग की है।

जम्मू कश्मीर में अधिक गर्मी और सर्दी के दौरान पानी की किल्लत होने से बिजली संकट बना रहता है। उप राज्यपाल ने जम्मू कश्मीर में निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के साथ बिजली के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए आवश्यक उपायों पर चर्चा की।

उन्होंने जम्मू कश्मीर को अतिरिक्त बिजली आवंटन पर जोर दिया। केंद्रीय मंत्री को पारेषण और वितरण बुनियादी ढांचे के निर्माण व एटीएंडसी नुकसान को कम करने, लोगों के लिए बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता और विश्वसनीयता में सुधार के लिए उठाए गए कदमों की दिशा में यूटी सरकार के प्रयासों को साझा किया।

केंद्रीय मंत्री ने भरोसा दिलाया कि जम्मू कश्मीर में संसाधनों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय हर संभव सहायता प्रदान करेगा। उप राज्यपाल ने बिजली ढांचे के विस्तार और चालू परियोजनाओं पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि जम्मू कश्मीर में बिजली ढांचे में सुधार के लिए कई प्रतिष्ठित परियोजनाएं चालू हैं।

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कड़ाके की ठंड के बीच जम्मू कश्मीर में बढ़ते बिजली संकट से राहत पाने के लिए केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय से अतिरिक्त बिजली की मांग की गई है। जम्मू और कश्मीर संभाग में बिजली की मांग और आपूर्ति में कई सौ मेगावाट का अंतर चल रहा है, जिससे खासतौर पर पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों में बिजली कटौती बढ़ी है।

उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने वीरवार को नई दिल्ली में केंद्रीय ऊर्जा व एनआरई मंत्री आरके सिंह से मुलाकात कर जम्मू कश्मीर के मौजूदा विद्युत परिदृश्य से अवगत कराया। बताया गया कि अतिरिक्त बिजली मिलने से प्रदेश में बिजली आपूर्ति को सुचारू बनाया जा सकता है। 

सूत्रों के अनुसार जम्मू संभाग के दस जिलों में मौजूदा 1200 मेगावाट की मांग है, लेकिन 700 से 800 मेगावाट ही आपूर्ति हो पा रही है। इसी तरह कश्मीर संभाग के दस जिलों के लिए 1500 मेगावाट की मांग पर 800 से 900 मेगावाट बिजली की ही आपूर्ति हो पा रही है, यानी दोनों संभागों में मांग के मुताबिक करीब 1000 मेगावाट की कमी चल रही है।

इस साल गर्मियों में भी कटौती के चलते केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय से अतिरिक्त 100-100 मेगावाट बिजली की मांग की गई थी, जिसके बाद बिजली आपूर्ति सुचारू हुई थी। बताया जाता है कि उप राज्यपाल ने दोनों संभागों के लिए केंद्रीय मंत्रालय से 200-200 अतिरिक्त मेगावाट बिजली की मांग की है।

जम्मू कश्मीर में अधिक गर्मी और सर्दी के दौरान पानी की किल्लत होने से बिजली संकट बना रहता है। उप राज्यपाल ने जम्मू कश्मीर में निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के साथ बिजली के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए आवश्यक उपायों पर चर्चा की।

उन्होंने जम्मू कश्मीर को अतिरिक्त बिजली आवंटन पर जोर दिया। केंद्रीय मंत्री को पारेषण और वितरण बुनियादी ढांचे के निर्माण व एटीएंडसी नुकसान को कम करने, लोगों के लिए बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता और विश्वसनीयता में सुधार के लिए उठाए गए कदमों की दिशा में यूटी सरकार के प्रयासों को साझा किया।

केंद्रीय मंत्री ने भरोसा दिलाया कि जम्मू कश्मीर में संसाधनों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय हर संभव सहायता प्रदान करेगा। उप राज्यपाल ने बिजली ढांचे के विस्तार और चालू परियोजनाओं पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि जम्मू कश्मीर में बिजली ढांचे में सुधार के लिए कई प्रतिष्ठित परियोजनाएं चालू हैं।



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