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जम्मू में हाईकोर्ट भवन के मौके पर बोलते सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़
– फोटो : पीटीआई
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सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि एक जुलाई से सुप्रीम कोर्ट में सभी नए मामले ऑटोमेटिक सूचीबद्ध किए जाएंगे। इसे लेकर आदेश जारी कर दिया गया है। आज तकनीकी अदालत तक पहुंच को और सुगम बना रही है। तकनीकी के सहारे न्यायिक व्यवस्था में सुधार होगा। वकील जिले में बैठकर ही बहस कर सकते हैं। इससे उनका समय और पैसा दोनों बचेंगे।
कश्मीर और लद्दाख जैसे दुर्गम इलाकों के लोग जो कई बार कोर्ट तक नहीं पहुंच पाते उनके लिए ऑनलाइन सेवाएं वरदान बनेंगी। उन्होंने ने कोर्ट में महिलाओं की संख्या बढ़ाने पर भी जोर दिया। बुधवार को जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के नए परिसर का शिलान्यास करने के बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. डी वाई चंद्रचूड़ कहा कि न्यायपालिका के लिए कोई भी मामला छोटा या बड़ा नहीं होता।
चाहे मामला पेंशन का हो या फिर बिजली का, सर्वोच्च न्यायालय हर मामले को बराबर समझता है और उस पर सुनवाई करता है। उन्होंने कहा कि तकनीकी की सुविधा से हम अपनी सामाजिक समस्याओं को भी दूर कर सकते हैं। न्यायपालिका का मतलब एक ऐसी व्यवस्था है, जो जन-जन तक पहुंचे।
उन्होंने कहा कि कहने को वह सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हैं, लेकिन कोई भी किसी के सहयोग के बिना नहीं बनता। यदि सुधार के लिए किसी का कोई भी सुझाव हो, तो उनका कार्यालय खुला है। कोई भी वहां आकर अपना सुझाव साझा कर सकता है। शिलान्यास के मौके पर उनके साथ उप राज्यपाल जम्मू-कश्मीर मनोज सिन्हा, उप राज्यपाल लद्दाख ब्रिगेडियर डॉ. बीडी मिश्रा मौजूद रहे। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल बर्चुअल तरीके से जुड़े।
कोरोना ने हमें बहुत प्रभावित किया
कोरोना महामारी में हमने कई लोगों को खो दिया। एक जज के रूप में हम अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करते, लेकिन महामारी ने हमें बहुत प्रभावित किया। उस समय लोगों के लिए न्यायालयों तक पहुंचना चुनौती था। उच्च न्यायालय की समिति का चेयरमैन होने के नाते मैं सोचता था कि लोग कैसे हम तक पहुंचे। ऐसे में तकनीकी ही साधन थी। कोरोना महामारी के बीच वीडियो कान्फ्रेंसिंग तकनीकी का इस्तेमाल हुआ जो अब जरूरी हो गया है।
जम्मू के इतिहास में एक ही महिला न्यायाधीश रहीं
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उन्होंने महसूस किया है कि न्यायिक व्यवस्था में महिलाओं की संख्या बहुत कम है। उनका यह लक्ष्य है कि वह इस संख्या को बढ़ाएं। जम्मू-कश्मीर का उदाहरण देते हुए बताया कि 1928 में जम्मू-कश्मीर न्यायालय बना और विडंबना यह है कि मुश्किल से एक महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं वो भी दिल्ली से आईं। उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए महिला वकीलों को देखा कि उनकी काम के प्रति कितनी आस्था है।
प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों में न्यायालयों तक पहुंचना बड़ी चुनौती
सीजेेआई ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में बहुत चुनौतियां हैं। यहां की भौगोलिक परिस्थितियां ऐसी हैं, जिनकी वजह से लोग न्यायालयों तक नहीं पहुंच पाते। कहीं बर्फ है, तो कहीं ठंड और पहाड़ हैं। सर्दियों में कोर्ट बंद रहने से न्यायिक व्यवस्था प्रभावित होती है। रैका में बनने वाला हाईकोर्ट लोगों की इस समस्या को दूर करेगा।
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