[ad_1]

University of Jammu
– फोटो : File Photo
ख़बर सुनें
विस्तार
जम्मू विश्वविद्यालय का सेंटर फॉर स्टडीज इन म्यूजियोलॉजी बसोहली पेंटिंग को बढ़ावा देने के प्रयास में जुट गया है। इसके लिए चित्रकला से संबंधित विशेषज्ञों का सहयोग लिया जा रहा है। जम्मू विश्वविद्यालय ने दो सप्ताह तक चलने वाले कार्यशाला जारी है। इसमें तीस विद्यार्थी चित्रकला के गुर सीख रहे हैं।
बसोहली के प्रसिद्ध चित्रकार सोहन सिंह बलोरिया अपने तीन शिष्यों के सहयोग से प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। इसमें प्रतिभागियों को चित्रकला की बारीकियां सिखाई जा रही है, ताकि वह रोजगार लेने ही नहीं, बल्कि रोजगार देने के काबिल भी बन सकें। उन्होंने कहा कि रोजगार के लिए किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत नहीं है। व्यक्ति अपने कौशल से खुद पर निर्भर रह सकता है। किसी भी काम को सीखने की ललक होनी चाहिए। छात्रों ने कहा कि वह आईएमएफए कॉलेज में पढ़ते हैं, जहां चित्रकला के बारे में पढ़ाया जाता है। लेकिन यहां प्रायोगिक तौर पर सीखने का मौका मिला है। चित्रकला का बेहतर प्रशिक्षण मिल रहा है। विभाग की निदेशक प्रोफेसर पूनम चौधरी ने कहा कि छात्रों के लिए यह रोजगार का साधन भी बन सकती है।
सर्टिफिकेट कोर्स शुरू पर हो रहा विचार
प्रोफेसर अल्का शर्मा ने कहा कि चित्रकला में सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने का विचार किया जा रहा है। जल्द ही इस बारे में कुलपति के साथ बातचीत की जाएगी। उन्होंने कहा कि बसोहली पेंटिंग को बढ़ावा देने की जरूरत है। नई पीढ़ी चित्रकला की उस पुरातन तकनीक को सीखकर आत्मनिर्भर बन सकती है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण लाइवलीहुड मिशन से 18 लड़कियां भी इस कार्यशाला में शामिल हुई हैं। मौके पर प्रोफेसर माले डे, आईएमएफए के शिक्षक डॉ. अमरजीत सिंह आदि उपस्थित रहे।
राइटर्स क्लब में चित्रकारों ने किया कला का प्रदर्शन
जम्मू-कश्मीर कला, संस्कृति और भाषा अकादमी ने राइटर्स क्लब जम्मू में पांच दिवसीय पेंटर्स कैंप का आयोजन किया। इसमें छह वरिष्ठ चित्रकारों ने भाग लिया। गोकुल देंबी, हर्षवर्धन, रोहित वर्मा, डॉ. अर्चना चौधरी, दीपा सोनी और सर्वेश शर्मा ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। वरिष्ठ कलाकार गोकुल देंबी ने कैनवास पर अपने हस्ताक्षर कर शिविर का उद्घाटन किया। उद्घाटन समारोह में केके गांधी, जंग एस वर्मन, सुखजीत सिंह कुक्कल, अकरम खान, विनोद वर्मा और अन्य जैसे विशिष्ट अतिथियों ने भी हस्ताक्षर किए। इस दौरान गोकुल देंबी ने ऐसे शिविरों के आयोजन के लिए अकादमी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिविरों को नियमित आधार पर आयोजित किया जाना चाहिए, ताकि प्रदेश के कलाकारों का काम सामने आ सके।
[ad_2]
Source link