जानिए मढ़ौरा के गढ़देवी मंदिर की कहानी, जहां होती है हर मनोकामना पूर्ण

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News Nation Bureau | Edited By : Vineeta Kumari | Updated on: 30 Sep 2022, 11:38:06 AM

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मढ़ौरा के गढ़देवी मंदिर की कहानी (Photo Credit: फाइल फोटो)

Chapra:  

छपरा के मढ़ौरा में शक्ति पीठ मां गढ़ देवी का ऐतिहासिक मंदिर है, जहां सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है. इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है, मंदिर के इतिहास के बारे ऐसी मान्यता है कि राजा दक्ष प्रजापति एक यज्ञ का अनुष्ठान किया था. उस यज्ञ मे बिना बुलाये उनकी पुत्री सती भी जिद्द करके वहां पहुंची, लेकिन वहां अपने पति भगवान शिव का कहीं स्थान नहीं देखकर, वह यह अपमान सहन नहीं कर पाई और यज्ञशाला के हवन कुंड में कूदकर अपने प्राणों की आहुति दे दी. जिसके बाद क्रोधित महादेव ने सती के शव को कंधे पर उठाकर आकाश मार्ग में तांडव करने लगे, जिससे पूरा ब्रह्मांड भयभीत हो गया. यह देख देवता गणों के आग्रह पर भगवान विष्णु ने भगवान शंकर का ध्यान भटकाने के लिए सुदर्शन चक्र से आकाश में ही सती के शव के कई टुकड़े कर दिए.

इस दौरान सती के पावन खून के छींटे इस जगह पर पड़े थे, जहां बाद में गढ़ देवी मंदिर की स्थापना हुई. मंदिर से जुड़ी एक और भी काहानी यहां काफी प्रचलित है कि शक्ति पीठ मंदिर थावे के रहसू भगत के बुलावे पर माता कौड़ी कामाख्या से चलकर जगह-जगह विश्राम करते हुए थावे गई थी. इस दौरान माता ने थावे पहुंचने से पहले मढ़ौरा के इसी गढ़देवी मंदिर के पावन स्थल पर विश्राम किया था. यहीं वजह है कि यहां माता की दो-दो पिंडिया स्थापित हैं. यह स्थल सिद्ध शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है. 

वैसे तो सभी मंदिरों के मुख्य दरवाजे पूरब की ओर होती है, लेकिन मढौरा के गढदेवी मंदिर में पूजा करने वाली मुख्य मंदिर का गेट पश्चिम की तरफ है. देश में यह पहला मंदिर है, जहां पूजा करने वाली गेट पश्चिम की तरफ है. इसके बारे में यह बताया जाता है कि जब अंग्रेज यहां आये थे तो मढौरा में उद्योग लगाने की इच्छा से यहां की मन्दिर और मान्यताओं से अंजान थे. वह जितने भी कार्य करते वह असफल हो जाते, एक रात एक अंग्रेज को माता ने स्वप्न दिखाकर मंदिर के पास कार्य कराने से मना किया तो अंग्रेजों ने इसे मानने से इंकार किया और कहा कि यदि आप स्वयं शक्ति है तो चमत्कार कीजिए. फिर मंदिर का जो गेट था, वह पूरब से पश्चिम हो गया, जब सुबह अंग्रेजों ने देखा तो उसके होश उड़ गये. फिर वहीं से थोड़ा हटकर मढौरा में चीनी मिल, मोर्टन मिल, सारण इंजीनियरिंग और डिस्ट्रिल वाटर की चार फैक्ट्रियां स्थापित की, जो आज के समय मे खंडहर बन चुकी है.

रिपोर्टर- बिपिन कुमार मिश्रा






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First Published : 30 Sep 2022, 11:38:06 AM




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