[ad_1]

(सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : सोशल मीडिया
विस्तार
आम तौर पर मिर्गी के मरीजों का दौरा पड़ने पर लोग लोग जूते और मोजे सूंघाने लगते हैं। जबकि, यह पूरी से गलत है। क्योंकि, 95 फीसदी मिर्गी के मरीजों को दौरा दो मिनट का ही पड़ता है। दो मिनट के बाद दौरा आना बंद हो जाता है। इस दौरान जूते और मोजे सूंघाने वाले लोगों को लगता है कि वह उसी से ठीक हुआ है। ऐसे मरीजों का बीआरडी में इलाज चल रहा है। साथ ही मिर्गी के गंभीर मरीजों के कॉलेज प्रशासन ने ऑपरेशन का फैसला लिया है। कॉलेज प्रशासन के इस पहल के बाद पूर्वांचल के मरीजों को काफी हद तक राहत मिलेगी।
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के न्यूरो विशेषज्ञ डॉ. सुमित ने बताया कि 15 से 50 साल के लोगों में मिर्गी का सबसे बड़ा कारण न्यूरो साइटिस्टेरोसिस (तंत्रिका तंत्र का परजीवी रोग) है। ऐसे मरीजों को सलाह दी जाती है कि वह झाड़-फूंक के चक्कर में बिल्कुल न पड़ें। क्योंकि, बीआरडी मेडिकल कॉलेज में जो भी मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं, उनकी स्थिति बेहद खराब रह रही है। मरीजों ने बताया कि जब भी उन्हें दौरा पड़ता है तो आसपास के लोग जूते और मोजे सूंघाने लगते हैं।
इसे भी पढ़ें: गोरखपुर में हर ट्रैफिक चौराहे पर सुन सकेंगे मतगणना में कौन आगे चल रहा, कौन पीछे
ऐसे 200 मरीजों का फालोअप किया जा रहा है। उन्हें दवा देकर हर माह बुलाया जा रहा है। बताया कि ऐसे दो से तीन फीसदी मरीजाें के ऑपरेशन की जरूरत पड़ती है, जिसे बेहद कुशल न्यूरो सर्जन ही कर सकता है। क्योंकि, इसकी सर्जरी बेहद कठिन है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गणेश कुमार ने बताया कि मिर्गी के मरीजों का इलाज सुपर स्पेशियलिटी सेवा में न्यूरो विशेषज्ञों की टीम अच्छे से कर रही है। काफी संख्या में बीआरडी में मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। जल्द ही मिर्गी के मरीजों का ऑपरेशन शुरू किया जाएगा, जिससे की उन्हें ऑपरेशन के लिए लखनऊ और दिल्ली नहीं जाना पडे़ेगा।
[ad_2]
Source link