दिल्ली: एसटीपी, डीएसटीपी के निर्माण में नहीं होगी देरी, एलजी की अगुवाई में उच्च स्तरीय समिति का गठन

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सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) और डिसेंट्रलाइज्ड सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (डीएसटीपी) के निर्माण में हो रही देरी को दूर करने के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल की अगुवाई में उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। यह समिति एसटीपी और डीएसटीपी के लिए भूमि से जुड़ी समस्याओं को दूर करेगी। इस संबंध में दिल्ली सरकार ने एनजीटी को एक रिपोर्ट सौंपी है।  

इस उच्च-स्तरीय समिति ने राजस्व विभाग के मंडल आयुक्त की अध्यक्षता में एक समिति बनाई है। इसमें प्रधान सचिव (वन और पर्यावरण) विभाग, डीडीए के उपाध्यक्ष, दिल्ली जल बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शामिल हैं। यह भूमि संबंधी सभी मामलों को हल करेगी। दिल्ली  सरकार नजफगढ़ में 14 सहित 40 विकेन्द्रीकृत एसटीपी बनाने की योजना बना रही है।

इनसे सीवेज उपचार क्षमता में प्रतिदिन 92 मिलियन गैलन की वृद्धि होगी। भूमि के अभाव में पिछले सात साल से 12 एसटीपी को बनाने में देरी हुई जिससे अनधिकृत कॉलोनियों और ग्रामीण क्षेत्रों का सीवोज सीधे यमुना में जा रहा है। वहीं 10 एमजीडी के नए एसटीपी के निर्माण के लिए भी जमीन की जरूरत है। दिल्ली में प्रति दिन करीब औसतन प्रतिदिन 768 मिलियन गैलन सीवेज उत्पन्न होता है।

दिल्ली में अभी 35 एसटीपी हैं जिनकी क्षमता 632 एमजीडी को साफ करने की है। ये एसटीपी अपनी स्थापित क्षमता का केवल 69 फीसदी ही काम कर रहे हैं। जिस कारण केवल 530 एमजीडी का ही उपचार किया जा रहा है।सरकार ने जून तक दिल्ली की सीवेज शोधन क्षमता बढ़ाकर 727 एमजीडी और इस साल दिसंबर तक 814 एमजीडी करने की योजना बनाई है। 

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