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ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इस केस में आरोपियों को फांसी की सजा मिल सकती है? अगर हां तो कैसे? कानून क्या कहता है? जिन धाराओं में केस दर्ज हुआ है, उसके अनुसार आरोपियों को कितनी सजा मिल सकती है? आइए समझते हैं…
पहले घटना के बारे में जान लीजिए
बाहरी दिल्ली के सुल्तानपुरी इलाके में 31 दिसंबर की रात एक युवती अपनी दोस्त के साथ स्कूटी से जा रही थी। इसी दौरान एक कार ने स्कूटी में टक्कर मार दी। इसमें दोनों घायल हो गईं। कार में पांच लोग बैठे थे और पांचों नशे में धुत थे। आरोपियों ने बगैर रुके कार की स्पीड तेज कर दी। स्कूटी सवार एक युवती का पैर कार के एक्सल में फंस गया। 13 किलोमीटर तक कार के साथ ही उसे घसीटा गया। उसके सारे कपड़े फट गए। युवती की मौके पर ही मौत हो गई। इसके बाद जब पांचों आरोपियों ने कंझावला रोड पर जोंटी गांव के पास कार रोकी तो उन्होंने युवती को कार में फंसा देखा। आरोपियों ने युवती को कार के नीचे से निकाला और उसे खुले आसमान के नीचे वहीं फेंककर चले गए। युवती के शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था। वहीं, दूसरी युवती घटनास्थल से ही अपने घर चली गई। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर कार चालक और अंदर बैठे सभी आरोपियों को पकड़ लिया है।
मुख्यमंत्री ने की फांसी की सजा
कंझावला मामले को सीएम केजरीवाल ने बेहद शर्मनाक घटना बताया। उन्होंने कहा, ‘हमारा समाज किस तरफ जा रहा है? कुछ लड़कों ने कई किलोमीटर तक एक लड़की को घसीटा, ये बेहद दर्दनाक है। चाहे आरोपी कितने भी रसूख वाले क्यों ना हों उनको सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए।’
पुलिस ने किन-किन धाराओं में केस दर्ज किया?
पांचों आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद दिल्ली पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें बताया कि आरोपियों के खिलाफ धारा 279, 304, 304ए, 120बी के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस ने बताया है कि प्रारंभिक जांच के बाद अगर कुछ और तथ्य सामने आते हैं तो उसके अनुसार एफआईआर में धाराएं जोड़ दी जाएंगी।
आईपीसी की धारा 279 : सार्वजनिक जगह पर जानकर या असावधानी से असुरक्षित वाहन चलाकर दूसरों का जीवन खतरे में डालना या घायल करने के कृत्य इस धारा में आते है। अपराध साबित होने पर अधिकतम तीन महीने की सजा और एक हजार रुपए तक जुर्माना या दोनों सजा एक साथ का प्रावधान है।
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