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धनबाद ही नहीं बल्कि आसपास के स्टेशनों की सुरक्षा के लिए बूनो व डेसी को जल्द ड्यूटी मिलने वाली है. फिलहाल दोनों की ट्रेनिंग चल रही है. ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उन्हें धनबाद भेज दिया जायेगा. बूनो का काम होगा विस्फोटक की पहचान कर उसे पकड़ना. वहीं यात्रियों या फिर रेलवे की संपत्ति की चोरी करने वालों को पकड़ने की जिम्मेवारी डेसी को दी जायेगी. ये दोनों आरपीएफ के डॉग है. मेल स्निफर बूनो है, वहीं ट्रैकर डेसी फिमेल है. दोनों को ट्रेनिंग देने के लिए बाहर भेजा गया है.
पहले से एक डॉग है : फिलहाल धनबाद आरपीएफ के पास एक मेल स्निफर डॉग है. उसका नाम जैक है. उसका काम सिर्फ विस्फोटक व अन्य संवेदनशील चीजों को सूंघ कर पकड़वाना है. इसी के सहारे धनबाद स्टेशन होकर गुजरने वाले अति महत्वपूर्ण ट्रेनों के साथ ही प्लेटफॉर्मों की जांच की जाती है.
जुलाई में पूरी होगी ट्रेनिंग : बूनो और डेसी की ट्रेनिंग डिवीजन मुख्यालय में अक्तूबर से ही ट्रेनिंग चल रही है. जुलाई में ट्रेनिंग पूरी हो जायेगा. इसके बाद इन्हें धनबाद भेजा जायेगा. इनसे ना सिर्फ धनबाद व अन्य स्टेशनों पर काम लिया जायेगा, बल्कि जरूरत पड़ने पर धनबाद जिला पुलिस भी इनकी मदद लेगी.
एक डॉग के खाने पर खर्च होते हैं आठ से 10 हजार रुपये : जैक को फिलहाल रेडीमेड खाना दिया जाता है. पहले चिकन व अन्य खाद्य पदार्थ बना कर दिये जाते थे, लेकिन बाद में इसमें बदलाव किया गया. अब डॉग को सिर्फ रेडीमेड खाना ही दिया जा रहा है. एक डॉग पर खाने पर हर माह का आठ से 10 हजार रुपये खर्च किया जाता है.
इन ट्रेनों की रोजाना होती है जांच : विशेष परिस्थिति में अलर्ट जारी होने पर डॉग की मदद ली जाती है. इसके अलावा धनबाद स्टेशन से गुजरने वाली हावड़ा और सियालदह राजधानी, दूरंतो के साथ ही रात की मुख्य ट्रेनों का विशेष जांच की जाती है.
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