धर्मशाला: दलाईलामा बोले- बौद्धिचित्त का विचार बढ़ाने के लिए 10 से 20 साल तक करूंगा काम

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तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाईलामा

तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाईलामा
– फोटो : संवाद

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मैंने जीवन में अब तक जो कुछ भी किया है, वह पूरी तरह बौद्धिचित्त के विचार और लक्ष्य से प्रेरित रहा है। इसी तरह से आने वाले 10 से 20 वर्षों तक मैं बौद्धिचित्त के विचार को आगे बढ़ाने के लिए कार्य करता रहूंगा। तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाईलामा ने मुख्य बौद्ध मंदिर मैक्लोडगंज में उनकी दीर्घायु के लिए प्रार्थना सभा में यह बात कही। दलाईलामा ने कहा कि बौद्धिचित्त का मुझ पर अब तक आशीर्वाद रहा है। मैं बौद्धिचित्त के देह, भाषा और मस्तिष्क के प्रतिनिधि के रूप में ही कार्य करता आया हूं। बौद्ध धर्म की तिब्बती परंपरा को पूरी दुनिया में सराहा जाता है। इस परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए मठों में अध्ययन करने वाले भिक्षुओं से लेकर निर्वासित तिब्बतियों ने बेहद महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

खासकर बौद्ध धर्म की शिक्षाओं, दर्शन और तर्क के अध्ययन के क्षेत्र में आप सभी ने सराहनीय कार्य किया है। आप न केवल इन शिक्षाओं का अध्ययन कर रहे हों, बल्कि इसे व्यावहारिक जीवन में अपनाने के लिए भी प्रयासरत हैं। ध्यान-साधना के माध्यम से आप शून्यता का अभ्यास कर रहे हैं। मेरा आप सभी से निवेदन है कि आप भविष्य में भी इसे आगे बढ़ाने में अपना बहुमूल्य योगदान देते रहें। आप निरंतर पूरी प्रतिबद्धता के साथ धर्म के अध्ययन और इसे जीवन में अपनाने के लिए अभ्यास करते रहें। आप सभी ने मेरी दीर्घायु के लिए जो प्रार्थनाएं की हैं, उसके लिए आप सभी का आभार जताता हूं।

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मैंने जीवन में अब तक जो कुछ भी किया है, वह पूरी तरह बौद्धिचित्त के विचार और लक्ष्य से प्रेरित रहा है। इसी तरह से आने वाले 10 से 20 वर्षों तक मैं बौद्धिचित्त के विचार को आगे बढ़ाने के लिए कार्य करता रहूंगा। तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाईलामा ने मुख्य बौद्ध मंदिर मैक्लोडगंज में उनकी दीर्घायु के लिए प्रार्थना सभा में यह बात कही। दलाईलामा ने कहा कि बौद्धिचित्त का मुझ पर अब तक आशीर्वाद रहा है। मैं बौद्धिचित्त के देह, भाषा और मस्तिष्क के प्रतिनिधि के रूप में ही कार्य करता आया हूं। बौद्ध धर्म की तिब्बती परंपरा को पूरी दुनिया में सराहा जाता है। इस परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए मठों में अध्ययन करने वाले भिक्षुओं से लेकर निर्वासित तिब्बतियों ने बेहद महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

खासकर बौद्ध धर्म की शिक्षाओं, दर्शन और तर्क के अध्ययन के क्षेत्र में आप सभी ने सराहनीय कार्य किया है। आप न केवल इन शिक्षाओं का अध्ययन कर रहे हों, बल्कि इसे व्यावहारिक जीवन में अपनाने के लिए भी प्रयासरत हैं। ध्यान-साधना के माध्यम से आप शून्यता का अभ्यास कर रहे हैं। मेरा आप सभी से निवेदन है कि आप भविष्य में भी इसे आगे बढ़ाने में अपना बहुमूल्य योगदान देते रहें। आप निरंतर पूरी प्रतिबद्धता के साथ धर्म के अध्ययन और इसे जीवन में अपनाने के लिए अभ्यास करते रहें। आप सभी ने मेरी दीर्घायु के लिए जो प्रार्थनाएं की हैं, उसके लिए आप सभी का आभार जताता हूं।



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