नीलांचल एक्सप्रेस का खूनी अध्याय: खौफनाक मंजर याद कर दहल उठ रहा प्रत्यक्षदर्शियों का कलेजा, सता रहा ये डर

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नीलांचल एक्सप्रेस में शुक्रवार को हुई घटना के बाद से यात्रियों में दहशत का माहौल है। लोगों ने इस ट्रेन से अपनी आगामी यात्राओं के टिकट रद्द करना शुरू कर दिया है। महानगर के थाना बन्नादेवी निवासी राम सारस्वत इस समय लखनऊ में हैं। उन्हें क्रमश: सात, 14 व 25 दिसंबर को नीलांचल एक्सप्रेस में सफर करना था, लेकिन हादसे के बाद उन्होंने अपनी रिजर्वेशन की टिकटों को रद्द करना शुरू कर दिया है। बोले.. सात दिसंबर को नीलांचल एक्सप्रेस से लखनऊ से अलीगढ़ आना था। शुक्रवार के हादसे के बाद डर लग रहा है। रेल प्रशासन कैसे इस डर को कम करेगा ? ये बड़ा सवाल है। उन्होंने ट्विटर पर अपनी उक्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सुल्तानपुर निवासी यात्री हरिकेश दुबे की मौत से सभी हतप्रभ हैं। इस ट्रेन में सफर करने से डर लग रहा है। यात्रियों की यह चिंता स्वाभाविक भी है। 

प्रत्यक्षदर्शियों की आंखों के सामने से शुक्रवार का नजारा हट नहीं रहा है। दूसरे दिन भी इस घटना को लेकर स्टेशन से लेकर शहर भर में बहस होती रही। हर किसी की संवेदना यात्री हरिकेश दुबे और उनके परिजनों के साथ थी।

इधर, शनिवार को इस ट्रेन में खिड़की वाली सीटों पर बहुत कम मुसाफिर ही बैठे। सभी को डर लग रहा था, हालांकि रेल प्रशासन ने ट्रेन संचालन में मानक के अनुसार सभी सुरक्षा उपायों को पुख्ता किया है।

50 लाख रुपये और नौकरी दी जाए

नीलांचल एक्सप्रेस में यात्री हरिकेश कुमार दुबे की मौत को लेकर ट्विटर और सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। बड़ी संख्या में लोगों ने इस घटना को दुखद बताते हुए पीड़ित परिजनों 50 लाख रुपये का मुआवजा और एक सदस्य को रेलवे में नौकरी देने की मांग उठाई है। अतुल तिवारी ने मुआवजे एवं नौकरी की मांग की है। 

 

बॉबी सिंह चौहान ने कहा है कि रेलवे को हर्जाना भरना चाहिए। निशांत उपाध्याय ने रेलवे पर तंज कसते हुए लिखा है कि वाह क्या न्याय किया है, एक नौजवान युवक की रेलवे की लापरवाही से मौत हो जाती है और अनुग्रह राशि के नाम पर 15 हजार रुपये देकर पीड़ित परिवार के साथ भद्दा मजाक किया जाता है। पंकज पांडेय ने कहा है कि जान चली गई है, अब हरिकेश के आश्रित को रेलवे में नौकरी और कम से कम 50 लाख रुपये का मुआवजा मिलना चाहिए। 

 



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