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                        डॉक्टर के साथ शिव और पार्वती
                                    – फोटो : अमर उजाला 
                    
विस्तार
महाशिवरात्रि से पहले सर गंगा राम अस्पताल में पार्वती ने शिव को लीवर देकर जान बचाई। करीब छह माह से 29 साल का पति शिव लीवर सिरोसिस से पीड़ित था। उपचार के दौरान भाई-बहन का ब्लड ग्रुप भी शिव से मेल नहीं हो रहा था। पत्नी पार्वती शिव को बचाने के लिए अपना लीवर दान करने को तैयार थी, लेकिन उनका ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव था। उपयुक्त डोनर न मिलने से परिवार परेशान हो गया। इसे देखते हुए डॉक्टरों ने परिवार को ब्लड ग्रुप इनकम्पैटिबल लीवर ट्रांसप्लांटेशन की सलाह दी गई। शिव छह लोगों के परिवार के लिए एकमात्र कमाने वाला है।
इस बारे में सीनियर सर्जन डॉ. नैमिष मेहता ने बताया कि करीब छह माह पहले शिव को पत्नी ने बिस्तर पर बेहोश पाया। तुरंत उपचार के लिए बिहार में घर के नजदीक के अस्पताल लेकर गई। यहां जांच में गंभीर बीमारी पाई गई। स्थिति बिगड़ी देख परिवार ने शिव को नई दिल्ली के कई अस्पतालों में इलाज के लिए दिखाया। उसकी बीमारी का मूल्यांकन किया गया और उन्हें पीलिया और कुगुलोपैथी (रक्तस्राव की संभावना में वृद्धि) से पीड़ित पाया गया। सर गंगा राम में जांच में पाया गया कि शिव लीवर सिरोसिस से पीड़ित है। उसका लीवर फेल हो गया। जिस कारण उसे हेपेटिक एन्सेफैलोपैथी हो गई। उन्हें लीवर ट्रांसप्लांट की सलाह दी गई और परिवार से एक उपयुक्त डोनर की तलाश करने को कहा गया।
डॉ. मेहता ने कहा कि जांच के दौरान शिव का ब्लड ग्रुप भाई- बहन या पत्नी से मेल नहीं हो रहा था। बाद में पार्वती ने अपने लीवर का हिस्सा ‘ए+वी’ रक्त समूह के साथ दान किया। वहीं डॉ. जयश्री सूद ने कहा कि करीब 12 घंटों तक चली सर्जरी के बाद सफल ट्रांसप्लांट हो सका। सर्जरी के बाद शिव ने कहा कि सच्चे अर्थों में मेरी पत्नी ने मेरी जान बचाने में देवी पार्वती की वास्तविक भूमिका निभाई है। मैं जीवन भर उनका ऋणी हूं। यह मेरे लिए सबसे अच्छा तोहफा है।
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