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मृतका के पिता ने फूट-फूट कर रोते हुए बताया कि घटना के आधा घंटे पहले वह बेटी से मिलकर आया था। तभी बेटी को साथ लिए आता तो अनहोनी होने से बच जाती। वहीं मासूम के साथ हुई निर्ममता पूर्ण हत्या की घटना से बीहड़ भी अपनी पुरानी यादों को याद कर कराह उठा।
डाकूओं के खात्मे के बाद से बीहड़ की जमीन शांति और अमन की जिंदगी देने में कई गुना आगे बढ़ चुकी है। बीती शुक्रवार की शाम को अयाना थाना क्षेत्र के गांव में आठ साल की मासूम के साथ हुई दरिंदगी की घटना से लंबे समय बाद एक बार फिर बीहड़ अपने पुराने अतीत को याद कर तड़पता नजर आया।
बेटी का शव देख पिता का कलेजा दर्द से फटा जा रहा था। वह बार-बार यही कहकर रोये जा रहा था, कि वह औरैया से लौटने के बाद बेटी से मिला था। इस दौरान बेटी ने पूछा था कि पापा मेरे लिए क्या लाए हो। उन्होंने बताया कि बेटी नवरात्र का व्रत कर रही थी।
इस लिए वह बेटी को घर पहुंचने अंगूर खिलाने की बात कहकर निकल आया। पिता का कहना था कि यदि वह बेटी को साथ लिए आता तो उसके साथ घटना होने से बच जाती। झोले में पड़े अंगूर देखकर वह कह रहा था कि अब मैं अपनी बेटी को अंगूर कैसे खिलाऊंगा।
वहीं मासूम की मां दहाड़ें मारते हुए कह रही थी कि एक मई को उसकी सबसे बड़ी बेटी की शादी होनी है। बेटी शादी को लेकर बहुत उत्साहित थी। वह हमेश कहती थी कि मां मुझे दीदी की शादी में लंहगा पहनना है। शादी के लिए लंहगा तो खरीदा जा सकता है, लेकिन उसे पहनने के लिए बेटी अब कभी नहीं आएगी।
मजदूरी व मवेशियों के सहारे होता था परिवार का भरण पोषण
पीड़ित पिता ने बताया कि वह मजदूरी व मवेशियों की खरीद फरोख्त कर परिवार का भरण पोषण करता था। उसकी पांच बेटियां व दो छोटे-छोटे बेटे हैं। उसकी तीसरे नंबर की बेटी मृतका कभी-कभी उसके साथ खेतों पर मवेशियों को चराने के लिए लेकर जाती थी। शुक्रवार को बेटी मवेशियों को लेकर खेतों पर गई थी, जहां अनहोनी का शिकार हो गई।
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