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बिथरी चैनपुर थाना
– फोटो : सोशल मीडिया
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बरेली के बिथरी चैनपुर थाने में उस धारा के तहत रिपोर्ट दर्ज करा दी गई, जिसका कानून में प्रावधान ही नहीं है। इंस्पेक्टर की गलती पर गौर न करते हुए सीओ तृतीय ने भी एफआईआर की प्रति ज्यों की त्यों कोर्ट भेज दी। एसीजेएम रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट ने न सिर्फ इस खामी को पकड़ लिया, बल्कि दोनों अधिकारियों को यह कहते हुए 18 अक्तूबर को तलब किया कि क्यों न माना जाए कि आप दोनों को कानून की जानकारी ही नहीं है।
बिथरी के सैदपुर खजुरिया निवासी तौकीर रजा खां ने थाने में गांव फरीदापुर चौधरी के जफीर अतहर व शोएब मुहम्मद के खिलाफ अमानत में खयानत, मारपीट के आरोप में तहरीर दी थी। इसमें जिक्र था कि अभियुक्तों ने जो चेक दिया वह भी डिसऑनर हो गया।
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इंस्पेक्टर ने लगाई थी ये धारा
इंस्पेक्टर ने जो रिपोर्ट कराई, उसमें आईपीसी की धाराओं के अलावा 138 परकाम्य लिखित अधिनियम 1881 अर्थात 138 निगोशियेबिल इंस्ट्रुमेंट की धारा भी बढ़ा दी, जबकि कानून में ऐसा प्रावधान नहीं है। कोर्ट के सामने यह मामला आया तो आदेश किया कि कानून यह है कि जब कोई व्यक्ति बैंक में चेक जमा करता है और वह अनादरित यानि डिसऑनर हो जाता है तो शिकायत का अधिकार उस व्यक्ति को है, जिसके पक्ष में चेक लिखा गया है।
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