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LG Manoj Sinha
– फोटो : संवाद
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जम्मू-कश्मीर में समाज कल्याण बोर्ड को समाप्त कर दिया गया है। इसके साथ ही सड़कों पर घूमने वाले बच्चों के पुनर्वास के लिए नीति भी घोषित की गई है। यह फैसला उप राज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई प्रशासनिक परिषद की बैठक में लिया गया। सरकार की ओर से बनाई गई इस नीति का लाभ सड़कों पर घूम रहे 687 बच्चों को मिलेगा और उनका भविष्य सुरक्षित होगा।
बाल न्याय अधिनियम के तहत सड़क पर घूमने वाले बच्चों को संरक्षण की जरूरत है। ऐसे बच्चों को सशक्त बनाना सरकार की जिम्मेदारी है। समाज कल्याण विभाग के मिशन वात्सल्य की ओर से ऐसे बच्चों को चिह्नित करने का अभियान शुरू किया गया और ऐसे 687 बच्चों को चिह्नित किया गया। स्वास्थ्य, स्कूल शिक्षा, आवास, ग्रामीण विकास, गृह, श्रम व रोजगार विभाग को जिम्मेदारी दी गई है कि वह बच्चों के कल्याण की दिशा में काम करें। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति इन बच्चों की देखभाल करेगी।
समाज कल्याण विभाग ही नियमित रूप से निगरानी के लिए जिम्मेदार होगा। साथ ही ऐसे पाए जाने वाले बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए भी काम करेगा। वहीं एक अन्य फैसले में सरकार ने समाज कल्याण बोर्ड का अस्तित्व समाप्त कर दिया है। बोर्ड का गठन 1955 में किया गया था। इसका इस्तेमाल सीमित हो गया था जो केंद्रीय प्रायोजित योजना राष्ट्रीय क्रेच योजना व स्वधर योजना तक सीमित था। यह योजनाएं केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड की वित्तीय मदद से चलती थीं। अब यह योजनाएं मिशन पोषण व मिशन शक्ति के तहत संचालित की जाने लगी हैं। केंद्र सरकार ने केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड को समाप्त कर दिया है जिसके तहत प्रदेश में भी इस बोर्ड को समाप्त कर दिया गया।
बोर्ड कर्मचारियों का रोडमैप बनाने को समिति गठित
बोर्ड में कार्यरत स्थायी व अस्थायी लोगों की सेवाओं के लिए समाज कल्याण विभाग के आयुक्त सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है जो रोडमैप तैयार करेगी। साथ ही बोर्ड की संपत्तियों के उपयोग तथा देनदारियों का भी कमेटी रोडमैप तैयार करेगी। बैठक में उप राज्यपाल के सलाहकार राजीव राय भटनागर, मुख्य सचिव डॉ. अरुण कुमार मेहता उपस्थित थे।
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