फैसला: लखनऊ से नहीं जुदा होगी चंद्रशेखर आजाद की याद, बमतुल बुखारा तो दे दी… अस्थि कलश नहीं देंगे

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प्रयागराज नहीं जायेगा आज़ाद का अस्थि कलश।

प्रयागराज नहीं जायेगा आज़ाद का अस्थि कलश।

महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की धरोहर राजधानी से जुदा नहीं होगी। उनका अस्थि कलश प्रयागराज नहीं भेजा जाएगा। इस बाबत इलाहाबाद संग्रहालय निदेशक का प्रस्ताव खारिज कर दिया गया है। भारत की आजादी से जुड़ीं कई धरोहर यूपी राज्य संग्रहालय में मौजूद हैं। इन्हें देखने के लिए पर्यटक खिंचे चले आते हैं। इनमें चंद्रशेखर आजाद का अस्थि कलश भी है।

यूपी राज्य संग्रहालय के निदेशक अनूप कुमार सिंह ने बताया कि इलाहाबाद संग्रहालय के निदेशक अखिलेश कुमार ने पत्र लिखकर चंद्रशेखर आजाद का अस्थि कलश हस्तांतरित करने की मांग की थी। कहा गया कि क्रांतिकारियों की याद में तैयार देश की पहली इंटरेक्टिव आजाद गैलरी को समृद्ध बनाने के लिए उनके अस्थि कलश को प्रयागराज भेजा जाए। इससे लोग अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की निशानियों का एक ही जगह दर्शन कर सकेंगे। हालांकि, इससे इनकार कर दिया गया है।

पहल ही दे चुके आजाद की कोल्ट पिस्तौल
अनूप कुमार सिंह ने बताया कि इलाहाबाद संग्रहालय को हम पहले ही चंद्रशेखर आजाद की कोल्ट पिस्तौल (जिसे आजाद बमतुल बुखारा कहते थे) दे चुके हैं। ऐसे ही सभी को अपने यहां की धरोहर बांटते रहेंगे, तो हमारे पास क्या बचेगा। इससे पर्यटक भी घट जाएंगे। यूपी राज्य संग्रहालय में प्रागैतिहासिक काल, कांस्य युग, सिंधु घाटी सभ्यता की प्रसिद्ध मूर्तियों के प्लास्टर कास्ट, मुद्राशास्त्र, पेंटिंग, पांडुलिपियां, पुराने वस्त्रों का संग्रह, बौधिसत्व के कटे-फटे चित्र, 16वीं से 19वीं शाताब्दी की बंदूक, धनुष, तीर सेट, अवध गैलरी, टेराकोटा ढोलकिया जैसी धरोहर हैं।

हमेशा के लिए नहीं दी जाती धरोहर
अनूप कुमार सिंह ने बताया कि किसी भी धरोहर को हमेशा के लिए नहीं दिया जाता है। इन्हें लोन पर दिया जाता है, जिसका मतलब है कि धरोहर को कभी भी वापस लिया जा सकता है। पूरी कोशिश है कि हमारी धरोहर बची रहें।

विस्तार

महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की धरोहर राजधानी से जुदा नहीं होगी। उनका अस्थि कलश प्रयागराज नहीं भेजा जाएगा। इस बाबत इलाहाबाद संग्रहालय निदेशक का प्रस्ताव खारिज कर दिया गया है। भारत की आजादी से जुड़ीं कई धरोहर यूपी राज्य संग्रहालय में मौजूद हैं। इन्हें देखने के लिए पर्यटक खिंचे चले आते हैं। इनमें चंद्रशेखर आजाद का अस्थि कलश भी है।

यूपी राज्य संग्रहालय के निदेशक अनूप कुमार सिंह ने बताया कि इलाहाबाद संग्रहालय के निदेशक अखिलेश कुमार ने पत्र लिखकर चंद्रशेखर आजाद का अस्थि कलश हस्तांतरित करने की मांग की थी। कहा गया कि क्रांतिकारियों की याद में तैयार देश की पहली इंटरेक्टिव आजाद गैलरी को समृद्ध बनाने के लिए उनके अस्थि कलश को प्रयागराज भेजा जाए। इससे लोग अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की निशानियों का एक ही जगह दर्शन कर सकेंगे। हालांकि, इससे इनकार कर दिया गया है।

पहल ही दे चुके आजाद की कोल्ट पिस्तौल

अनूप कुमार सिंह ने बताया कि इलाहाबाद संग्रहालय को हम पहले ही चंद्रशेखर आजाद की कोल्ट पिस्तौल (जिसे आजाद बमतुल बुखारा कहते थे) दे चुके हैं। ऐसे ही सभी को अपने यहां की धरोहर बांटते रहेंगे, तो हमारे पास क्या बचेगा। इससे पर्यटक भी घट जाएंगे। यूपी राज्य संग्रहालय में प्रागैतिहासिक काल, कांस्य युग, सिंधु घाटी सभ्यता की प्रसिद्ध मूर्तियों के प्लास्टर कास्ट, मुद्राशास्त्र, पेंटिंग, पांडुलिपियां, पुराने वस्त्रों का संग्रह, बौधिसत्व के कटे-फटे चित्र, 16वीं से 19वीं शाताब्दी की बंदूक, धनुष, तीर सेट, अवध गैलरी, टेराकोटा ढोलकिया जैसी धरोहर हैं।

हमेशा के लिए नहीं दी जाती धरोहर

अनूप कुमार सिंह ने बताया कि किसी भी धरोहर को हमेशा के लिए नहीं दिया जाता है। इन्हें लोन पर दिया जाता है, जिसका मतलब है कि धरोहर को कभी भी वापस लिया जा सकता है। पूरी कोशिश है कि हमारी धरोहर बची रहें।



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