कानपुर के बहुचर्चित बिकरू कांड के चार दिन पहले शादी कर अपनी सुसराल बिकरू पहुंची खुशी को जेल भेजे जाने पर तमाम सवाल उठे थे। तब कहा गया था कि चंद दिन पहले बिकरू आई खुशी इतनी बड़ी साजिश में कैसे शामिल हो सकती है। तब तत्कालीन एसएसपी ने बयान जारी किया था कि खुशी निर्दोष है।सीआरपीसी 169 की कार्यवाही (गलत जेल भेजे जाने पर कोर्ट में उसके समर्थन में रिपोर्ट लगाना) कर उसको रिहा कराया जाएगा, लेकिन बाद में पुलिस इससे मुकर गई और खुशी तब से सलाखों के पीछे है। 29 जून 2020 को खुशी की अमर दुबे से शादी हुई थी। कार्यक्रम बिकरू गांव में ही हुआ था। दो जुलाई 2020 की रात वारदात हो गई। पुलिस ने आठ जुलाई को खुशी को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। पुलिस ने हत्या, हत्या के प्रयास, डकैती समेत 17 धाराओं में खुशी के खिलाफ आरोप तय किए थे।
नवविवाहिता पर इतनी सख्त कार्रवाई पर पुलिस सवालों से घिर गई थी। अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने जमानत मिलने के बाद प्रतिक्रिया दी कि खुशी बेगुनाह थी और है। पुलिस ने साजिशन उसको आरोपी बनाकर जेल भेजा था। न्यायालय पर उनको भरोसा था।
पुलिस पर प्रताड़ित व अभद्रता करने का लगाया था आरोप खुशी के जेल जाने के बाद उनके वकील की तरफ से एक प्रार्थना पत्र कोर्ट में दिया गया था। दावा किया था कि पुलिस ने चार जुलाई को खुशी को हिरासत में लिया था। थाने में खुशी को प्रताड़ित किया गया था।
कुछ पुलिसकर्मियों ने अभद्रता भी की थी। चार दिन बाद आठ जुलाई को जेल भेजा था। इस तथ्य को कोर्ट ने गंभीरता से लिया था। बता दें कि खुशी के वकील ने कोर्ट में शैक्षणिक दस्तावेजों के आधार पर दावा किया था कि खुशी नाबालिग है। कोर्ट ने इस संबंध में सुनवाई कर इस दावे पर मुहर लगाई थी।
राजनीतिक पार्टियां भी आईं थीं खुशी के समर्थन में खुशी दुबे को जेल भेजने के विरोध में कई राजनीतिक पार्टियां भी सामने आईं थीं। विधानसभा चुनाव के वक्त विपक्ष ने इसको मुद्दा भी बनाने का प्रयास किया था। कांग्रेस ने खुशी की बहन को कल्याणपुर विधानसभा से टिकट भी दिया था।
खुशी को जमानत मिलने पर आप नेता संजय सिंह ने अधिवक्ता शिवाकांत से फोन पर बात की और बधाई दी। वहीं, सपा नेता अखिलेश यादव ने इसे भाजपा के अन्याय और नारी उत्पीड़न के दुष्प्रयासों की करारी हार बताया। अधिवक्ता का कहना है कि इन सभी ने लगातार मामले में मदद की है।
बिकरू कांड में तीसरी जमानत, जेल से कोई रिहा नहीं हुआ बिकरू कांड में 44 आरोपी जेल गए हैं। कुछ समय पहले हाईकोर्ट ने सुशील तिवारी को जमानत दी थी। चूंकि पुलिस ने उस पर एनएसए की कार्रवाई की थी। इसलिए वह जेल से रिहा नहीं हो सका। 22 दिसंबर को आरोपी अभिनव तिवारी की हाईकोर्ट ने जमानत मंजूर की थी।
हालांकि वह भी जेल से बाहर नहीं आ पाया है। अब खुशी को जमानत मिली है। बता दें कि बिकरू कांड में आरोपी बनाई गई अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे को करीब 30 महीने बाद सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत मिल गई। न्यायिक व कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद खुशी की जेल से रिहाई होगी।
इसमें एक से दो सप्ताह का समय लग सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने खुशी को हर हफ्ते संबंधित थाने में रिपोर्ट करने व निचली अदालत को जमानत की शर्तें तय करने का निर्देश दिया। पीठ ने खुशी को जमानत देते हुए कहा, अब इस मामले में सुनवाई शुरू हो चुकी है, इसलिए उसे जेल में रखने की जरूरत नहीं है।
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कानपुर के बहुचर्चित बिकरू कांड के चार दिन पहले शादी कर अपनी सुसराल बिकरू पहुंची खुशी को जेल भेजे जाने पर तमाम सवाल उठे थे। तब कहा गया था कि चंद दिन पहले बिकरू आई खुशी इतनी बड़ी साजिश में कैसे शामिल हो सकती है।
तब तत्कालीन एसएसपी ने बयान जारी किया था कि खुशी निर्दोष है।सीआरपीसी 169 की कार्यवाही (गलत जेल भेजे जाने पर कोर्ट में उसके समर्थन में रिपोर्ट लगाना) कर उसको रिहा कराया जाएगा, लेकिन बाद में पुलिस इससे मुकर गई और खुशी तब से सलाखों के पीछे है।
29 जून 2020 को खुशी की अमर दुबे से शादी हुई थी। कार्यक्रम बिकरू गांव में ही हुआ था। दो जुलाई 2020 की रात वारदात हो गई। पुलिस ने आठ जुलाई को खुशी को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। पुलिस ने हत्या, हत्या के प्रयास, डकैती समेत 17 धाराओं में खुशी के खिलाफ आरोप तय किए थे।