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mobile addiction
– फोटो : अमर उजाला
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डॉक्टर साहब… मेरा तीन साल का बेटा दिनभर मोबाइल फोन में कार्टून देखता है। खाना खाते समय भी मोबाइल नहीं छोड़ता। अगर उसके हाथ से मोबाइल छीन लो तो खाना नहीं खाता और चिल्लाने लगता है। कई बार तो सिर फर्श पर पटकने लगता है।
जिला एमएमजी अस्पताल के मनोचिकित्सा प्रकोष्ठ में यह केस आदर्शनगर से आया। बच्चे में मोबाइल की लत लग जाने का यह अकेला मामला नहीं है। रोज ऐसे लगभग 150 मामले आ रहे हैं। आदर्शनगर के केस के बारे में अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विपिन चंद्र उपाध्याय ने बताया कि बच्चे को वर्चुअल ऑटिज्म की परेशानी हो गई है।
मोबाइल फोन, लैपटॉप या टीवी पर ज्यादा समय बिताने पर यह परेशानी आती है। इसके शिकार बच्चों को दूसरों से बातचीत करने में दिक्कत आने लगती है। वे बोलने में भी कतराने लगते हैं। इन बच्चों में आटिज्म नहीं होता, लेकिन उसके लक्षण आने लगते हैं।
एमएमजी के मनोचिकित्सा प्रकोष्ठ की क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. चंदा यादव का कहना है कि कई बार माता- को पिता भी व्यस्त होने के कारण या बच्चे को खाना खिलाने के लिए मोबाइल का लालच देते हैं। यही लालच उनमें लत बन जाता है। इससे बच्चे के विकास पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है और बच्चा जिद्दी हो जाता है।
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