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Indo Tibetan Union National Conference
– फोटो : अमर उजाला
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‘मेरा कैसा भाग्य है। तिब्बत का प्रधानमंत्री हूं, लेकिन तिब्बत कभी देखा नहीं। यह विवशता जम्मू में आयोजित भारत-तिब्बत संघ के राष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्य अतिथि तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री पेनपा शेरिंग ला ने जाहिर की।’
पेनपा से चीन की विस्तारवादी नीतियों और तिब्बत को उससे मुक्त करवाने के रोडमैप बारे पूछने पर उन्होंने कहा कि 1959 में चीन ने तिब्बत पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया। परिवार भारत आ गया। मेरा जन्म दक्षिण भारत में हुआ, यहीं पर पढ़ाई और परम पूजनीय गुरु दलाई लामा के सानिध्य में कई देशों में जाकर तिब्बती सरकार व लोगों का पक्ष रखा। अब तिब्बत का प्रधानमंत्री हूं और कोशिश कर रहा हूं कि लोगों में चीन की नीतियों के खिलाफ जागरूकता लाऊं। तिब्बत के लोगों पर हो रहे अत्याचार को दर्शाऊं। इसके लिए भारत के विश्वविद्यालयों और अन्य देशों में भी दौरा कार्यक्रम होते रहते है।
पेनपा के अनुसार तिब्बत के लोगों की मानसिकता को बदलने के लिए वहां बच्चों को जबरन बोर्डिंग स्कूल में पढ़ाया जाता हैं और चीन साजिश के तहत तिब्बत के लोगों की मानसिकता को बदलने के लिए ऐसा कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई बार इस मुद्दे को उठाया गया, लेकिन चीन के खिलाफ कोई देश आक्रामक रवैया अपनाने को तैयार नहीं है। अमेरिका हो या ताइबान या अन्य देश। उन्होंने चीन में भारी निवेश किया है। इस वजह से वह चीन के खिलाफ कड़े कदम उठाने से परहेज करते है। चीन की आर्थिक हालत को कमजोर करने के लिए भारत समेत अन्य देशों का काम करना होगा तभी चीन बात सुनेगा।
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