भारत में छह से 12 महीने में अशोक लीलैंड इलेक्ट्रिक ट्रक लॉन्च, जानें

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नई दिल्ली : बांग्लादेश के बाद भारत दुनिया का सबसे प्रदूषित देशों में से एक है. अगर भारत अपने जलवायु लक्ष्यों को हासिल करना चाहता है, तो उसे ट्रकों को री-डिजाइन करना होगा. वह इसलिए कि भारत में परिवहन के क्षेत्र में माल ढुलाई के लिए ट्रकों का बड़े पैमाने पर वाणिज्यिक इस्तेमाल किया जाता है, जिससे भारी मात्रा में प्रदूषण को बढ़ावा देने वाला धुआं निकलता है. पहली बार ऐसी खबर आ रही है कि एशिया की चौथी सबसे बड़ी ट्रक निर्माता कंपनी अशोक लीलैंड इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण के जरिए एक बड़े अवसर को भुनाने के लिए उत्सुक दिखाई दे रही है. खबर यह भी है कि हिंदूजा समूह की वाहन निर्माता कंपनी अशोक लीलैंड आगामी छह से 12 महीनों के अंदर भारत में इलेक्ट्रिक ट्रकों की पहली खेप को सड़कों पर उतार देगी. हालांकि, टाटा मोटर्स समेत अन्य ट्रक निर्माताओं ने भारत में इलेक्ट्रिक मिनी ट्रक और पिकअप वैन आदि का निर्माण किया है.

12 महीनों में सड़कों पर सरपट दौड़ेंगे अशोक लीलैंड के इलेक्ट्रिक ट्रक

हिंदूजा समूह की ट्रक निर्माता कंपनी अशोक लीलैंड के मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी एन सरवरन ने जुलाई महीने की शुरुआत में ही एक साक्षात्कार के दौरान कहा कि अगले छह से 12 महीनों में आप हमारो बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों का पहला सेट सड़कों पर दौड़ते हुए पाएंगे. उन्होंने कहा कि कंपनी की ओर से धमाकेदार तरीके से इन इलेक्ट्रिक टकों को लॉन्च नहीं किया जाएगा, जो आम तौर पर इलेक्ट्रिक वाहनों की लॉन्चिंग से पहले किया जाता है, लेकिन छोटी मात्रा में और धीरे-धीरे मॉडलों को बाजार में उतारा जाएगा.

रिलायंस इंडस्ट्रीज और अदाणी इंटरप्राइजेज के साथ साझेदारी करेगी अशोक लीलैंड

इसके साथ ही, एक रिपोर्ट यह भी है कि अशोक लीलैंड ने पिछले जून के महीने में भारत के बंदरगाहों के लिए इलेक्ट्रिक ट्रक बनाने की योजना का ऐलान किया था. इसके लिए कंपनी ने अदाणी इंटरप्राइजेज और रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ साझेदारी करने जा रही है. रिलायंस इंडस्ट्रीज ने हाइड्रोजन ईंधन बैटरी वाहन लॉन्च करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली अपनी सहायक कंपनी स्विच मोबलिटी में करीब 1,200 करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनाई है. अशोक लीलैंड के मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी एन सरवरन ने कहा कि आप रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ हाइड्रोजन आंतरिक दहन वाले इंजन का निरंतर विकास देखेंगे.

भारत में ट्रकों से होती है मालों की ढुलाई

दुनिया की सबसे बड़ी पांचवीं अर्थव्यवस्था भारत माल ढुलाई के लिए 70 फीसदी सड़क परिवहन पर निर्भर है. बढ़ते शहरीकरण और बढ़ती उपभोक्ता मांग की वजह से भारत में वर्ष 2050 तक ट्रकों की संख्या चौगुनी से अधिक होने की उम्मीद है, जिससे जलवायु संबंधी चिंताएं बढ़ सकती हैं. ऐसी स्थिति में फिर स्वच्छ वाहनों की ओर बदलाव करना आसान नहीं होगा.

बैटरी चार्जिंग और ऊंची कीमतें सबसे बड़ी बाधा

सबसे बड़ी बात यह है कि इलेक्ट्रिक बनाम डीजल से चलने वाले ट्रकों के बीच ऊंची कीमतें और चार्जिंग के लिए बुनियादी ढांचे की कमी बड़ी बाधाओं के रूप में सामने आ रही हैं. खासकर, इससे छोटे-बड़े उन ऑपरेटरों को मुश्किलें नजर आ रही हैं, जिनके पास अधिकांश ट्रक हैं. अमेरिका स्थित स्वच्छ ऊर्जा थिंक टैंक आरएमआई के भारत कार्यक्रम की प्रबंधक संहिता शिलेदार ने कहा कि भारत में चलने वाले ट्रक जलवायु परिवर्तन में असमान रूप से योगदान करते हैं. उन्होंने कहा कि भारत की ओर से शुरू किए गए डीकार्बोनाजेशन प्रयास के तहत इन ट्रक ऑपरेटरों और निर्माताओं पास बड़ा अवसर है, जो जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में इलेक्ट्रिक वाहनों के जरिए अहम भूमिका निभा सकते हैं.

भारत में 381 इलेक्ट्रिक ट्रक बिक्री के लिए उपलब्ध

एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में इस वक्त 381 इलेक्ट्रिक ट्रक्स बिक्री के लिए उपलब्ध है. इनमें से एसएन सोलर एनर्जी न्यू पैसेंजर इलेक्ट्रिक रिक्शा सबसे सस्ता इलेक्ट्रिक ट्रक जबकि टाटा ऐस ईवी सबसे महंगा इलेक्ट्रिक ट्रक है. एल्टीग्रीन, महिंद्रा टरेओ, महिंद्रा इ-अल्फा मिनी, टाटा ऐस ईवी और पियाजियो आपे ई सिटी सबसे पॉपुलर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स हैं.

इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ तेजी से बढ़ रहा भारत

पूरी दुनिया में एक तरफ जहां ऑटोमोटिव सेक्टर के इलेक्ट्रिफिकेशन का काम काफी तेजी से चल रहा है, वहीं कमर्शियल व्हीकल सेगमेंट भी इससे कोई अछूता नहीं है. वैश्विक बाजारों की तरह भारतीय व्यावसायिक वाहन उद्योग भी तेजी से इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ बढ़ रहा है. हालांकि, दूसरे देशों से अलग भारत की ट्रक इंडस्ट्री में लास्ट माइल कार्गो डिलीवरी के लिए काफी उपयोगी साबित होने वाले कार्गो और लोगों को लाने ले जाने के लिए ऑटो रिक्शा नाम से फेमस पीपल कैरियर 3 व्हीलर का भी इलेक्ट्रिफिकेशन किया जा रहा है. भारत में ऑटो-रिक्शा सेगमेंट का इलेक्ट्रिफिकेशन किए जाने की एक बड़ी वजह ये है कि ये मिडिल क्लास कस्टमर्स के लिए काफी उपयोगी साबित होते हैं, जो इन्हें बिना किसी उत्कृष्ट इंफ्रास्ट्रक्चर के एक सीमित स्थान में आसानी से राइड कर सकते हैं. इसके अलावा इलेक्ट्रिक व्हीकल्स ऑपरेट करने में सस्ते पड़ते हैं और इससे इनकम भी बढ़ती है.

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