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– फोटो : amar ujala
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रामनगरी के रामकोट में स्थित दशरथगद्दी चौबुर्जी मंदिर त्रेतायुगीन माना जाता है। यह वही स्थान है जहां दशरथ जी की गद्दी थी और वे यहीं बैठकर न्याय करते थे। मंदिर के चारों तरफ बड़े-बड़े बुर्ज होने के कारण इसका नाम दशरथ गद्दी पड़ा। यह स्थान राम जन्मभूमि से मात्र 500 मीटर की दूरी पर स्थित है।
आक्रांताओं ने जब अयोध्या में मंदिरों को तोड़ा था तो इस मंदिर को भी निशाना बनाया था। दशरथगद्दी के वर्तमान महंत बृजमोहन दास बताते हैं कि यह मंदिर कई बार टूटा और बना। वर्तमान मंदिर का जीर्णोद्धार स्व़ जयराम दास ने कराया था। वे जयराम दास की चौथी पीढ़ी के महंत हैं।
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महंत जयरामदास की गणना रामनगरी के सिद्ध संतों में होती थी। ऐसा माना जाता है कि भगवान रामलला व हनुमान जी से उनका साक्षात्कार होता था। उनकी चमत्कारिक आभा के प्रभाव से देश भर में उनके शिष्य थे। मंदिर में भगवान राम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुहन समेत चारों भाइयों की पत्नियों का भी विग्रह स्थापित है। सभी विग्रह सफेद संगमरमर से निर्मित है और एक नजर में ही भक्तों को मुग्ध कर देते हैं।
इसके अलावा महाराजा दशरथ की भी मूर्ति यहां विराजमान हैं। साथ ही लेटे हुए हनुमान जी की मूर्ति भी भक्तों के आकर्षण का केंद्र है। महंत बृजमोहन दास बताते हैं मंदिर आंदोलन के दौरान भी यह मंदिर कारसेवकों का केंद्र रहा है।
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