महिला ने बेटी संग खुद को लगाई आग: बेटा बोला, समझ नहीं पा रहा क्यों बहन के साथ जल गई मम्मी

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‘मम्मी हमको मारना चाहती थी। मैं भाग गई, भाई भी भाग गया, नहीं तो हम भी मर जाते, हमें जीना है, बचा लो’ बड़ी बेटी अर्पिता के यह बोल सुनकर पिता श्रीकांत सिंह और मौजूद सभी की आंखें डबडबा गईं। यह बोलते-बोलते अर्पिता बदहवास होने लगी थी। तभी पीछे से दौड़कर छोटा बेटा विवेक भी आ गया। बोला, पापा, मम्मी क्यों जल गई। समझ नहीं आ रहा। हम लोगों को भी जलाना चाहती थी।

मां को याद कर दोनों बच्चे बदहवास हो जा रहे हैं। उठते हैं तो मां के बारे में पूछते हैं और एक तख्त पर दोनों लेट जाते हैं। दर्दनाक हादसे की खबर पाकर रिश्तेदार, गांव वाले भी पहुंचे। सबकी जुबां पर एक ही सवाल, आखिर उसने ऐसा क्यों किया? कोई पति श्रीकांत से पूछता कि क्या हुआ? तो कोई बूढ़ी सास से पूछता, आप कहां थीं। समझाया क्यों नहीं?

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सवालों के बीच श्रीकांत अपने दोनों बच्चों को किसी तरह से संभाल रहे। बच्चों को संभालने के फेर में मानो वह खुद का दर्द भूल गए हैं। उनकी पूरी कोशिश है, बच्चों के मन से किसी तरह से दहशत को निकाला जाए। दोनों मां को जिंदा जलते देखे हैं, इस वजह से काफी डरे सहमे हैं।

निर्मला के पति श्रीकांत सिंह दुबई में रहकर पाइप फीटर का काम करते हैं। वह 8 जनवरी 2023 को घर आए, तभी से यहीं पर हैं। श्रीकांत ने कहा कि कभी सोचा नहीं था कि ऐसा होगा। कभी-कभी पत्नी जिद करती थी, लेकिन ऐसा कर लेगी, ऐसा कभी नहीं लगा।

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घर ही नहीं, पड़ोसी भी हैरान, सबने कहां-सोचा नहीं था कि ऐसा करेगी

निर्मला के बच्ची संग खुदकुशी करने से सब हैरान हैं। रिश्तेदार हों या फिर पड़ोसी। सब यही बोल रहे हैं, निर्मला काफी खुशमिजाज थी। बातचीत से ऐसा कभी नहीं लगा कि वह इस तरह आत्मघाती कदम उठा लेगी। पति-पत्नी के बीच बहस और छोटे झगड़े तो हर घर में होते हैं, लेकिन उसकी वजह से इस तरह निर्मला खुद मर जाएगी और बच्ची को भी मार देगी, इस पर अब भी यकीन नहीं हो रहा।

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बिना पानी पीए नहीं जाने देती थी

पड़ोसी कमलेश सिंह ने कहा कि घर पर जाने पर चाची निर्मला बिना पानी पीए नहीं जाने देती थीं। ज्यादा बाहर भी नहीं आती थीं। घर में बच्चों को पढ़ाते ही उनको अक्सर देखा गया। बातचीत से तो कभी नहीं लगा कि इस तरह कर लेंगी।

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कभी नहीं लगा कि निर्मला ऐसा करेगी

पड़ोसी बेलासी देवी ने कहा कि निर्मला बहुत हंसमुख स्वभाव की थी। हमेशा घूंघट में रहती थी। उसे तेज आवाज में बात करते कभी कोई नहीं सुना। कभी उससे बातचीत में भी ऐसा नहीं लगा कि वह ऐसा कर देगी। आज भी यकीन नहीं हो रहा।


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