मां का छलका का दर्द: पुलिस वाले मुझसे झूठ बोलते रहे…कहा था-ढूंढ रहे हैं, अब हमें मिलीं अमन की सिर्फ अस्थियां

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मुरादाबाद में पहले बेटे की मौत फिर अंतिम समय में उसका चेहरा तक नहीं देख पाने का दर्द मां नन्ही की आंखों में आंसुओं के रूप में उतर आया है। पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए उसने कहा कि वह बेटे के लापता होने की सूचना देने थाने पहुंची थी, वहां से उसे पुलिस चौकी भेज दिया गया था। चौकी गई तो दोबारा थाने में जाने की सलाह दी। पुलिस कर्मियों ने भी उसे आश्वासन दिया था कि अमन को ढूंढने का प्रयास किया जा रहा है। अब पता चला कि पुलिस वाले से झूठ बोल रहे थे। मझोला के फकीरपुरा निवासी नन्ही ने बताया कि दो जनवरी को उसका बेटा लापता हुआ था। शाम तक वह घर नहीं लौटा। अगले दिन तीन जनवरी से उसकी तलाश शुरू की गई थी। चार जनवरी को मझोला थाने पहुंची थी। 

महिला ने बताया कि उसने बेटे के लापता होने की सूचना पुलिस को दी थी लेकिन थाने से पुलिस कर्मियों ने उसे चौकी भेज दिया था। अगले दिन फिर से बेटे की तलाश में थाने पहुंची थी। इस बार भी उसे ये कहकर लौटा दिया गया था कि उसके बेटे को ढूंढने का प्रयास किया जा रहा है। नन्ही ने बताया कि शनिवार को उसने थाने पहुंचकर पूछताछ की तो उससे दोबारा तहरीर मांगी गई। महिला के साथ लोगों ने दोबारा तहरीर दी थी।

 

पुलिस टीम ने अमन के परिवार वालों के दर्ज किए बयान

मंडी समिति चौकी इंचार्ज देवेंद्र सिंह ने मंगलवार दोपहर फकीपुरा पहुंचकर अमन के भाई, मां और बहन के बयान दर्ज किए। नन्ही ने बताया कि पुलिस वालों ने उससे और उसके परिवार वालों से पूछताछ की थी। उन्हें दो जनवरी से लेकर अब तक क्या-क्या हुआ और उन्होंने कहां-कहां तहरीर दी। तब कुछ बता दिया गया है। पुलिस ने नन्ही, उसके बेटे विशाल और सचिन और छोटी बेटी के बयान दर्ज किए।

 

परिवार को मिलीं अमन की सिर्फ अस्थियां

पुलिस ने लालबाग स्थित श्मशान में कराया था लावारिस में अंतिम संस्कार। मंगलवार सुबह परिजन श्मशान घाट पहुंचे और अस्थियां लेने के बाद रामगंगा नदी में विसर्जित कीं।

 

आपको बता दें कि मुरादाबाद के मझोला के फकीपुरा शास्त्री नगर निवासी अमन तीन जनवरी को अपने घर से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर सिविल लाइंस क्षेत्र में फकीरपुरा रेलवे हरथला कॉलोनी के सामने रेलवे ट्रैक किनारे मृत मिला था। जबकि परिजन मझोला क्षेत्र में ही उसकी तलाश में जुटे रहे थे। मां अपने कलेजे के टुकड़े के अंतिम दर्शन भी नहीं कर सकी तो भाई विशाल और सचिन को भाई के खोने के साथ ही इस बात का भी दुख जिंदगी भर सताता रहेगा कि वो भाई के शव का अंतिम संस्कार भी नहीं कर सके। 



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