माघ मास का त्रयोदशी तिथि कल, आज रखा जाएगा प्रदोष व्रत, यहां करें कंफ्यूजन दूर

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Pradosh Vrat 2024: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व है. माघ माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय त्रयोदशी तिथि की जाती है. इसलिए आज ही प्रदोष व्रत रखकर प्रदोष काल में देवों के देव महादेव की पूजा की जाएगी. वहीं माघ मास की त्रयोदशी तिथि कल 08 फरवरी दिन गुरुवार को है. क्योंकि हिंदू धर्म में उदया तिथि मान्य होती है, इसलिए त्रयोदशी तिथि 08 फरवरी दिन गुरुवार को है. पंचांग के अनुसार, त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 7 फरवरी यानी आज दोपहर 02 बजकर 02 मिनट पर होगी और समाप्ति अगले दिन यानी 8 फरवरी दिन गुरुवार को सुबह 11 बजकर 17 मिनट पर होगी. प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में होती है और आज त्रयोदशी तिथि शाम के समय में पड़ रही है, इसलिए प्रदोष व्रत आज ही रखकर भगवान शिव की पूजा आज शाम में की जाएगी.

प्रदोष व्रत के पूजा करने के शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, प्रदोष व्रत की पूजा आज ही प्रदोष काल में होगी. धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल और निशिता काल में की जाती है. 7 फरवरी यानी आज पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम के 06 बजकर 05 मिनट से लेकर रात्रि के 08 बजकर 41 मिनट तक रहेगा, इस शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा करने पर जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते है.

भगवान शिव की ऐसे करें पूजा

  • स्नान करने के बाद मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक करें.

  • इसके बाद दीप प्रज्वलित करें और सभी देवी-देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें.

  • शिवलिंग में गंगा जल और दूध चढ़ाएं. फिर भगवान शिव को पुष्प अर्पित करें.

  • भगवान शिव को अक्षत, गंध, पुष्प, धूप, दीप, दूध, पंचामृत, बेलपत्र, भांग, धतूरा इत्यादि जरूर अर्पित करें.

  • पंचामृत से अभिषेक करते समय ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का निरंतर जाप करते रहें.

  • भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं.

पूजा सामग्री

इस दिन शिव पूजा के लिए कच्चा दूध, गंगाजल, दही, घी, शहद, भांग, धतूरा, शक्कर, केसर, चंदन, बेलपत्र, अक्षत, भस्म, रुद्राक्ष, शमी पत्र, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, गाय का कच्चा दूध, तुलसी दल, मंदार पुष्प, ईख का रस, फल, कपूर, धूप, दीप, शिव के प्रिय फूल (हरसिंगार, आक, कनेर), इत्र, पंचमेवा, काला तिल, सोमवार व्रत कथा पुस्तक और शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि.

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