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पीर पंजाल की पहाड़ियां बर्फ की सफेद चादर से पटी हुईं
– फोटो : बासित जरगर
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रात में पारे में गिरावट के साथ जम्मू शहर के आसपास के इलाकों में कोहरा बढ़ने लगा है। कोहरे से जहां ओस के कण गिर रहे हैं वहीं बाहरी क्षेत्रों में विजिविलिटी (दृश्यता) कम हो रही है। खासतौर पर तड़के और रात को कोहरा पड़ रहा है।
आगामी दिनों में अन्य क्षेत्रों में भी कोहरा बढ़ने के आसार हैं, जिससे सड़क हादसों की आशंका भी बढ़ेगी। कश्मीर में शीत लहर के बीच रात में पारा गिरने का सिलसिला जारी है। कश्मीर के साथ जम्मू संभाग के अधिकांश इलाकों में रात्रि में तापमान सामान्य से नीचे चल रहा है।
मौसम विज्ञान केंद्र श्रीनगर के अनुसार मंगलवार को मौसम साफ रहेगा। मौसम विभाग के पूर्व अधिकारी यशपाल शर्मा ने बताया कि रात्रि में 5 से 7 डिग्री तापमान के पहुंचने पर कोहरा पड़ना शुरू हो जाता है।
वातावरण में जब गर्म हवा रहती है तो तापमान में गिरावट पर सर्दी बढ़ने पर हवा में ठंडे कण पैदा हो जाते हैं जो कोहरे का रूप ले लेते हैं। इसमें कम विजिबिलिटी रहती है, जिससे कोहरा बढ़ता है, लेकिन तापमान बढ़ने पर कोहरा छंट जाता है।
जिन इलाकों में हवा में ठंडे कण अधिक रहते हैं वहां कोहरे का अधिक प्रभाव रहता है। इस बीच राजधानी श्रीनगर में बीती रात न्यूनतम तापमान माइनस 3.1 डिग्री सेल्सियस के साथ गुलमर्ग के माइनस 2.5 डिग्री सेल्सियस की तुलना में अधिक ठंडी रही।
काजीकुंड में बीती रात का न्यूनतम तापमान माइनस 3.1, पहलगाम में माइनस 4.8, कुपवाड़ा में माइनस 3.5, कोकरनाग में माइनस 1.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। जम्मू में दिनभर मौसम साफ रहने से अधिकतम तापमान 21.5 और बीती रात का न्यूनतम तापमान 7.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
बनिहाल में बीती रात का न्यूनतम तापमान माइनस 0.4, बटोत में 3.3, कटड़ा में 7.8, भद्रवाह में 1.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। लेह में कड़ाके की ठंड के बीच बीती रात का न्यूनतम तापमान माइनस 10.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
खुश्क सर्दी से त्वचा संबंधी समस्याएं बढ़ीं
प्रदेश में खुश्क सर्दी से त्वचा संबंधी समस्याएं बढ़ी हैं। खासतौर पर ड्राइनेस से लोग परेशान हो रहे हैं। एसएमजीएस के त्वचा विभाग के एचओडी डॉ. देवराज डोगरा ने बताया कि ड्राइनेस के मामलों में कई बार पीड़ित शरीर के अंदरूनी हिस्सों में अधिक खारिश करके जख्म कर देते हैं।
बुजुर्गों और बच्चों में यह समस्या अधिक रहती है। इस मौसम में साबुन का अधिक इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। गुनगुने पानी से नहाने के साथ शरीर में नारियल और अन्य तेल, वैसलीन जैली आदि का इस्तेमाल करें।
शरीर में कॉटन के कपड़े सबसे पहले डालें और उसके ऊपर सिंथेटिक व ऊनी कपड़े डाल सकते हैं। मौजूदा त्वचा 280-300 की ओपीडी में 100 मामले ड्राइनेस की समस्या से जुड़े पहुंच रहे हैं। मधुमेह, किडनी और हृदय रोगियों को ऐसे मौसम में अधिक एहतियात बरतने की जरूरत है।
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