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यमुना नदी में बढ़ता प्रदूषण
– फोटो : अमर उजाला
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दिल्ली में यमुना नदी के 22 किमी लंबे बाढ़ क्षेत्र में अवैध रूप से बसीं कॉलोनियों व दूसरे कब्जों को हटाने और बाढ़ क्षेत्र के सीमांकन के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति (एचएलसी) बनाई है। समिति खुद निरीक्षण कर अतिक्रमण रोकने और कब्जे हटवाने के लिए रिपोर्ट देगी। इसके लिए दिल्ली सरकार के सचिव पर्यावरण को नोडल अधिकारी बनाया गया है।
उच्चस्तरीय समिति को तीन महीने में यह काम पूरा करना होगा। एनजीटी मामले की सुनवाई 30 जनवरी 2024 को करेगा। एनजीटी के चेयरमैन जस्टिस प्रशांत श्रीवास्तव, सदस्य जस्टिस सुधीर अग्रवाल, डॉ. ए. सेंथिल वेल के आदेश में कहा है कि यमुना का बाढ़ क्षेत्र का सीमांकन होना आवश्यक है। द रिवर गंगा अथॉरिटीज ऑर्डर 2016 में दिए निर्देशों के मुताबिक, नदी के बाढ़ क्षेत्र को अधिसूचित भी किया जाना चाहिए।
एचएलसी में मुख्य सचिव के अलावा दिल्ली विकास प्राधिकरण के प्रतिनिधि, दिल्ली सरकार के सचिव पर्यावरण, सचिव जलशक्ति, कार्यकारी निदेशक नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा और आयुक्त दिल्ली नगर निगम को रखा गया है। एचएलसी संयुक्त रूप से मौके पर निरीक्षण करेगी और बाढ़ क्षेत्र का सीमांकन सुनिश्चित कराएगी। एचएलसी को एनजीटी में एक रिपोर्ट भी तैयार कर देनी है, जिसमें बताना होगा कि यहां हुए अतिक्रमण को कैसे हटाया जाए? वहीं, भविष्य में अतिक्रमण यमुना नदी में नहीं हो, इसे कैसे रोकेंगे।
यमुना में प्रदूषण का खतरा भी बढ़ा
22 किमी लंबाई में नदी किनारे करीब 76 अवैध कालोनियां बस गई हैं। इससे बाढ़ के अलावा यमुना नदी में प्रदूषण का खतरा भी बढ़ा हुआ है। वजीराबाद से पल्ला के बीच खाली पड़ी जमीनों पर अतिक्रमण किया जा रहा है। इसे रोकने के लिए ही एनजीटी ने सख्त कदम उठाया है। नोएडा में भी यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र में कब्जे हो चुके हैं। बाढ़ आने पर इन इलाकों में पानी भी भरा। अब नोएडा प्राधिकरण इन पर कार्रवाई शुरू की है।
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