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200 साल पुरानी श्रीरामचरितमानस की पोथी से शुरू होती रामनगर की रामलीला
– फोटो : अमर उजाला
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रामनगर की रामलीला यूं ही प्रसिद्ध नहीं है, इससे जुड़ी एक-एक वस्तु, व्यक्ति, स्थान आदि अद्भुत और विशेष है। इसी में से एक है श्रीरामचरितमानस की पोथी…। जो 200 साल से अधिक पुरानी है, इसका वंदन व नमन करके ही रामलीला शुरू होती है। यह आम मानस की पोथियों से अलग है। इसमें दोहे और चौपाई सटाकर लिखे गए हैं। यह पढ़ना व समझना आमजन के लिए मुश्किल है।
हर दिन लीला शुरू होने के पहले लीला व्यास श्रीरामचरितमानस की पोथी की पूजा और प्रार्थना कर लीला की शुरू करते हैं। व्यास परंपरा और पोथी की रक्षा कर रहे पं. रामनारायण पांडेय ने बताया कि मेरे पूर्वजों ने बताया था कि रामनगर की रामलीला 1806 में शुरू हुई थी। इसके कुछ साल पहले से ही श्रीरामचरितमानस पोथी रखी गई है। पोथी की ऊंचाई करीब एक फीट है। इसकी छपाई चिकने पत्थरों (लीथो प्रिटिंग) से गई है। शुरू में लीला का संवाद इसी से होता था, लेकिन अब दूसरे मानस के ग्रंथों से होता है। मानस की पोथी को केवल पूजन करने के लिए लाया जाता है।
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