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Make In India : केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए लैपटॉप और कंप्यूटर के आयात पर बैन लगा दिया है. यह बैन एचएसएन 8741 कैटेगरी के तहत देश में आने वाले प्रॉडक्ट्स पर लगाया गया है. लैपटॉप, टैबलेट एवं पर्सनल कंप्यूटर (पीसी) के आयात पर अंकुश लगाने के सरकार के फैसले से उद्योग जगत को अगले दो-तीन साल में घरेलू स्तर पर अरबों डॉलर की उत्पादन क्षमता पैदा होने और आयात पर निर्भरता में बहुत कमी आने की उम्मीद है. सरकार ने हाल ही में लैपटॉप, टैबलेट एवं अन्य पीसी उत्पादों के आयात के लिए लाइसेंस को अनिवार्य करने का आदेश जारी किया. यह कदम विदेशी उपकरणों में हार्डवेयर में सुरक्षा संबंधी खामियां होने के अलावा घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के मकसद से भी उठाया गया है.
ऑप्टिमस इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक ए गुरुराज ने कहा, हमें उम्मीद है कि अगले दो-तीन साल में घरेलू मांग का 60-65 प्रतिशत भारत में स्थानीय स्तर पर निर्मित आईटी हार्डवेयर उत्पाद ही पूरा करने लगेंगे. उन्होंने कहा कि घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई उत्पाद से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना भी इसमें अहम भूमिका निभाएगी. पीटीआई-भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक, उनकी कंपनी भी आईटी हार्डवेयर क्षेत्र के लिए समर्पित पीएलआई योजना का हिस्सा रही है और वह दूसरे चरण के लिए भी आवेदन करने वाली है.
काउंटर पॉइंट के शोध निदेशक तरुण पाठक ने कहा कि भारत में लैपटॉप एवं टैबलेट का कुल बाजार करीब आठ अरब डॉलर का है जिसमें से 65 प्रतिशत हिस्सेदारी आयातित उत्पादों की है. लावा इंटरनेशनल के सह-संस्थापक एवं चेयरमैन हरिओम राय ने कहा कि इन उत्पादों के आयात के लिए वैध मंजूरी अनिवार्य करने से 10 अरब डॉलर का विनिर्माण होगा और लाखों रोजगार अवसर पैदा होंगे. यह देश में इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र की आपूर्ति शृंखला के विस्तार में भी बड़ा मुकाम है.
डेकी इलेक्ट्रॉनिक्स के प्रबंध निदेशक विनोद शर्मा का कहना है कि आईटी हार्डवेयर के लिए पीएलआई योजना शुरू करने से इन उपकरणों की घरेलू पारिस्थितिकी को प्रोत्साहन मिलेगा. उन्होंने कहा, सरकार का यह सुनिश्चित करना वाजिब है कि इन उपकरणों को विश्वस्त एवं सुरक्षित स्रोतों से ही खरीदा जाए.
इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण सेवाएं देने वाली कंपनी डिक्सन टेक्नोलॉजीज के चेयरमैन सुनील वछानी ने कहा कि इस फैसले से देश में आईटी हार्डवेयर के विनिर्माण में तेजी आने की उम्मीद है. व्यापारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि इस अंकुश से विदेशी कंपनियां भारत में विनिर्माण इकाइयां लगाने और निवेश के लिए मजबूर होंगी.
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