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लोकसभा चुनाव 2024
– फोटो : अमर उजाला
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बरेली लोकसभा क्षेत्र में इस बार 23 लाख से ज्यादा मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। राजनीतिक दलों से मिली जानकारी के मुताबिक इसमें सर्वाधिक मुस्लिम मतदाता (करीब सात लाख) हैं। कुर्मी छह लाख, कश्यप डेढ़ लाख, मौर्य डेढ़ लाख व वैश्य पौने दो लाख हैं। बाकी अन्य वर्ग के वोटर हैं। इसके बावजूद यहां से सिर्फ तीन बार ही मुस्लिम प्रत्याशी जीत दर्ज कर सके। पिछड़ा वर्ग की बात करें तो अकेले संतोष गंगवार ने ही आठ बार जीत दर्ज की है। छह बार वैश्य प्रत्याशी जीत का परचम लहराने में कामयाब रहे।
बरेली लोकसभा सीट से वर्ष 1980 में पहली बार जनता पार्टी (एस) के टिकट पर मुस्लिम प्रत्याशी के रूप में मिसर यार खां ने जीत दर्ज की थी। हालांकि, वह संसद की दहलीज तक नहीं पहुंच सके। शपथ ग्रहण से पहले ही वह मौत से हार गए।
इसके बाद वर्ष 1981 में हुए उपचुनाव में पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद की पत्नी आबिदा बेगम कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरीं। जनता ने उनको चुनकर संसद पहुंचाया। वर्ष 1984 में हुए आम चुनाव में भी आबिदा बेगम ने जीत का परचम लहराया। इसके बाद अब तक किसी मुस्लिम प्रत्याशी को जीत नसीब नहीं हो सकी। मुस्लिम मतों में बिखराव को इसकी प्रमुख वजह माना जा रहा है।
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